Gaurav Jausol   (© Gaurav J "वैरागी")
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Joined 28 December 2020


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1 MAY AT 22:32

इतनी सी बात पर मैं क्यों मलाल करुँ
मुझे भूल गयी है तो क्यों मैं सवाल करुँ

उसे भी हक़ है अपनी ख़ुशियाँ चुनने का
क्यों उसके पीछे मैं दीवानों सा हाल करुँ

क्यों मैं तन्हा भटकूँ, रोऊँ उसके ख़ातिर
क्यों हिज़्र-ए-ग़म में जीना मैं मुहाल करुँ।

बेहतर है अकेला रहूँ, ढूँढू ख़ुद में खुशियाँ
क्यों ख़ुद से बग़ावत मैं ख़ुद में बवाल करूँ।

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25 APR AT 10:22

ऐ दिल तू उसको भूल जा
ना ग़म मना ना मलाल कर
उसे जाना था वो चला गया
मत हो उदास ना सवाल कर
मत कर यूँ ख़ुद को तू निराश
ना हिज़्र-ए-ग़म में बवाल कर
तू मत भटक अब दर-ब-दर यूँ
ना ख़ुद का अब तू ये हाल कर
जो गुज़र गया वही बेहतर था
मत ख़राब अपना ये साल कर
अब तन्हा रह, मत दिल लगा
ना ख़ुद का जीना मुहाल कर
अपना ले अपने दर्द-ओ-ग़म
तू फ़िराक़ अपना ज़माल कर।

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11 MAR AT 23:25

जहाँ रहो जैसे रहो बस ख़ुद को आबाद रखो
अपने-अच्छे बुरे वक़्त के सारे सबक़ याद रखो

मिलना बिछड़ना दोनों ही दुनिया के दस्तूर हैं
रब पर भरोसा दिल में उम्मीद लबों पर फरियाद रखो।

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9 MAR AT 23:25

इस तन्हाई से बच कर मैं कहाँ जाऊँगा
जहाँ भी मैं जाऊँगा तुमको ही पाऊँगा

इस सवाल के घेरे में तो मैं भी आऊँगा
आखिर कब तक मैं तुम्हें भूल पाऊँगा

मुश्किल है मेरे लिए तुम्हें बिसार पाना
ख़ुद को धीरे धीरे मग़र मैं आजमाऊँगा

ग़र भूल ना सका तुम्हें इतना तो कर लूँगा
तुम्हारे कारण मैं अपना दिल ना दुखाऊँगा

दर्द-ए- दिल मिला है इश्क़ में भर भर मुझे
ख़ुशी की तलाश में मैं खाली हाथ जाऊँगा

ऐसी मोहब्बत से तो तन्हाई ही भली ख़ुदा
अब मैं किसी से फ़िर दिल ना लगाऊँगा।

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3 MAR AT 22:46

एक तरफ़ा प्यार की बस इतनी सी कहानी है
आँखों में हैं टूटे सपनें और ग़मगीन ज़िन्दगानी है।

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24 FEB AT 22:19

यहाँ हर शख़्स किसी ना किसी तलाश में है
भटक रहा है यहाँ-वहाँ जबकि सबकुछ पास में है

जो मिला है इंसान उसकी कदर नहीं करता
जो नहीं मिला है उसको पाने की आस में है

तलाश रहा है ज़िन्दगी प्यार के बहाने दूसरों में
हक़ीक़त तो ये है कि ज़िन्दगी हर साँस में है

अपने आप को कर रहा है नज़रअंदाज़ बेवजह
नहीं जानता कि वो भी ख़ुदा की रचना ख़ास में है

लुटा रहा है समय और ज़ज़्बात झूठे रिश्तों पर
ना जाने कितने ही यहाँ एक तरफ़ा एहसास में हैं

ज़िन्दगी में सबकुछ किसी को नहीं मिलता "गौरव"
जो तुझे नसीब है वो ना जाने कितनों के काश में है।

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21 NOV 2023 AT 18:44

इंसान को चाहिए हमेशा हालातों से लड़ता रहे
चाहे जैसी भी हो राहें जीवन पथ पर बढ़ता रहे।

बेशक़ लाख मुश्किल आये मंज़िल तक पहुँचने में
धैर्य बनाए रखे ख़ुद में और ख़्वाब नये गढ़ता रहे।

कठिन हो कितनी भी चुनौती लक्ष्य पर नज़र रखे
नाकामी से बिना डरे आस की सीढ़ी चढ़ता रहे।

दुनिदारी अपनाये मग़र दिल में भी रखे इंसानियत
अपनों से घुल-मिलकर रहे गैरों के इरादे भी पढ़ता रहे।

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20 NOV 2023 AT 23:31

किस्मत की लकीरों से लड़कर कहाँ जाओगे
वक़्त से आगे बढ़कर तुम बोलो कहाँ जाओगे

साथ साथ चलता रहेगा सफ़र सुख दुख का ये
खुशियाँ भी यहीं मिलेंगी, दुख भी यहीं पाओगे

लोगों की मत सुनो अपना आईना ख़ुद बनो
अपना अक्स देखोगे तो तुम भी मुस्कुराओगे

मत होना मायूस यहाँ तुम ज़िन्दगी की मुसीबतों से
जितनी तकलीफ़े पाओगे उतना ही निखरते जाओगे

धीरे धीरे ही सही तुम चलते रहो अपने पथ पर
एक दिन तुम मंज़िल पर विजय पताका लहराओगे।

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18 NOV 2023 AT 22:23

जब अपना कोई छोड़ जाता है
दिल से जुड़े नाते एक पल में जब तोड़ जाता है
गुज़रतें है जिसके साथ ज़िन्दगी का हर लम्हा
फ़िर वही शख्स अपनों से मुँह मोड़ जाता है
अपनों को भुलाकर गैर से नाता जोड़ जाता है।

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17 NOV 2023 AT 21:26

बेवज़ह कुछ नहीं होता कोई तो वज़ह होती है
ये वज़ह ही इंसानों से इंसानियत को खोती है।

ये बात और है हम जान नहीं पाते समझते नहीं है
सोचते हैं अपनी जगह हम सही गलत कुछ नहीं है।

इस सही गलत के बीच में ही कुछ गड़बड़ हो जाता है
और अंत में इंसान तन्हा बचता है रिश्ता ख़ो जाता है।

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