Na khane se kya paya tune?
Kya phir wapas aayi wo?
Maikhane me tujhe wo cheez mili,
jaise thand me rajai ho.
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"यादें इश्क़ की"
हर रात उसकी यादों को दफन करके सोता हूँ ,
वो ज़िन्दगी है शायद,सुबह फिर उसी का होता हूँ।
जिसकी खुशी की खातिर था दिल मुझसे बगावत में,
कम्बख्त एक झलक पाने को,अक्सर बहुत रोता हूँ।
कातिल आदाओं में जिसकी नशा था मयखानों का,
उस इश्क़ की तलाश में,बेइन्तहां खुद को खोता हूँ।
उसकी जुल्फों की घनी साये में कुछ ख्वाब थे मेरे,
वो समंदर थी इश्क़ की,मैं तालाब का इक गोता हूँ।
खड़ा करना है सबको इक दिन इश्क़ की कतार में,
जो कहा करते हैं अक्सर ,मैं मकाम बहुत छोटा हूँ ।-
पीते थे जिसके साथ में वो साकी बड़ा हसीन था साहब,,,,,
आदत लगा के जालिम ने मयखाना ही बदल लिया....!!!!!!!!-
हमारे दर्मिया इस कदर क्या है बाकी,
जो आज भी समझते हो मुझे अपना साकी।
तुमने जवाब दिया........"किसी ने सही कहा है,
ग़ालिब, नशा शराब से नहीं आपकी फितूर में पीने से है"!-
कभी मैखानों से भी तो पूछ
उनके दिल का हाल,
सुकून बेचते हैं, गम के बदले।
रौनक छा जाती है इनमें
अंधेरों के साथ,
यह तो जागते हैं, तेरी नींद के बदले।
बदल जाते हैं मिजाज इंसानों के
देख कर पैमानों का हाल,
खुद चटक जाते हैं, दिल के बदले।
बह जाने दे ये आंसू इस आंगन में
फिर कहना दिल की बात,
सुरूर बोलता है, जुबान के बदले।
वफा की बात सुन ले, बेवफा के शहर में
और किस से कहेगा ये राज
दोस्त मिल जाते हैं, दुश्मनों के बदले•••-
चलो आज दर्द मिटाने का,
ये पैंतरा भी आजमा के देख लेते हैं।
बहुत गये मंदिर और मस्जिद,
अब एक बार मैखाने जाकर देख लेते हैं।।-
उसके और करीब जाने को जी चाहता है,
उसके दिल में उतर के डूब जाने को जी चाहता है।
उसकी आँखों से उसके होंठो का सफर कितना लम्बा है,
अब तो मंजिल पे पहुंच जाने को जी चाहता है।
गर ये नशा है उसके प्यार का तो ये नशा भी होने दो,
आज मैखाने में ही रात बिताने को जी चाहता है।-
लगी है मुझको,
मैखाने की लत उन्हीं से।
मोहब्बत थी जिनसे,
अब नफरत उन्हीं से।।
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MaiKhana-e-Ishq mai
Hijar Kai Naam aaj
Jaam pee Aaya hu
Avb Sajda rez ho javu
ki avb kai yaar ko
usi Maikadai mai
Dafna kai aaya hu-
माथे पर शिकन लिए
यहां हर कोई अपनी परेशानियों में लीन है
खुशियों को पीछे छोड़
मैंखाने में बैठा हर शख्स गमगीन है
कमी नहीं जिसे किसी चीज़ की
वो बदकिस्मत भी मुस्कुराहटों का दीन है
फूल सी कोमल इस जिंदगी को
वो समझ बैठा काटो की जमीन है
कहां से होगी शुरूआत, कहां होगा अंत
वो खुदा ही तो जीवन का अमीन है
कल की फिक्र छोड़ कर देखो
ये जिंदगी कितनी हसीन है
कफन सी सफेद नहीं
ये इंद्रधनुष सी रंगीन है-