हम तुम्हें तुमसे रूबरू करायेंगे ,
तुम हमे हमसे मिलवाओगे क्या ?
दुनियाँ की इस भिड में मेरी पुकार सुन ,
तुम वापस मेरे पास लौट आओगे क्या ?
तुम्हारी हर बात में जिक्र हमारा है ,
ये बात सच है कह पाओगे क्या ?
हम तुम्हें समझेंगे ,
तुम हमारी कही बातो को समझोंगे क्या ?
तुम मेरे ही हो कितना अपना बनाऊ ,
मैं तुम्हारा हूँ तुम सबके सामने कहोगे क्या ?
तुम्हें अपनी जान नहीं रूह बनाया है ,
एक रूह को दूसरी रूह से मिलवाओगे क्या ?
हाँ , पर मुझे इश्क करना नही आता ,
क्या अब भी तुम मुझे अपनाओगे क्या ?
मेरी हर चाहत तुझसे शुरू तुझपे खत्म है ,
तुम ये बात स्विकार करोगे क्या ?
राधा साथ निभाना हमसे नही होगा ,
गौरी बनी तो तुम मेरा साथ दोगे क्या ?
सुनो , हर जन्म मैं तुम्हारा साथ चाहत हूँ ,
चुनोगे क्या तुम मुझे हर मोडपे ,
ये बात भी तुम बताके जाना ....-
✍️_𝙄 ℓ๏√£ Şђεя ๏ ઽђɑýяı...📖✍️
🎓_¢ђεмı¢ɑℓ εиɢıиεεяıиɢ ઽ†µ∂ε... read more
अगर वो पूछ ले मुझसे कि"~ कैसे हो ?
तो मै घर पर रखी सारी दवाईयां फेंक दूँ "-
मेरी कलम से मेरी जो पहचान है, वो पहचान रहने दो
मैं अनजान हूँ मुझे अनजान रहने दो
चला हूँ जिस राह पर तन्हाई की तलाश में, उस राह को तुम सुनसान रहने दो,
दो गज जमीन के नीचे ढूंढा है घोंसला, सब ले लो मुझसे बस वो मकान रहने दो,
सुनाएंगे कई लोग तुम्हें किस्से कहानियाँ मेरी,
हक है उनका उन्हें कहने दो
मैंने चुना है दर्द को अपना जो हमसफ़र, दूर रहो, इसे मुझे खुद सहने दो
मेरे शब्द गर पड़े तुम्हारी नज़र के सामने परेशान ना हो, अपने चेहरे पर मुस्कान रहने दो
अनजान है मुझे अनजान रहने दो...-
मोहब्बत को मेरी अपने दिल से गुजर जाने दो
या तो हाँ करो या हवा आने दो 🤣-
मुहब्बत है बड़ी दिल में मुहब्बत कर नहीं सकते
ज़माने की निगाहों से बग़ावत कर नहीं सकते
तुम्हारे इश्क़ की मंज़िल का रस्ता ही अलग सा है
हमारे दूर रहने की शिकायत कर नहीं सकते
जहाँ उम्मीद ओ हसरत गले मिलती हैं उल्फ़त में
यूँही चाहत की गलियों में तुम शिरकत कर नहीं सकते
तुम्हारे हुस्न ने तुमको ख़ुदा बनना सिखाया है
झुका के सर ज़मीं पर तुम इबादत कर नहीं सकते
हमारे इश्क़ की शर्ते बहुत ही तल्ख़ होती हैं
हमारी बात मानो तुम ये उल्फ़त कर नहीं सकते
बड़ी हिम्मत से होते हैं यहाँ पर फ़ैसले राघव
जहां के सख़्त लोगों से अदावत कर नहीं सकते...-
कब तलक मोहब्बत से जुदा रखोगी
अपने दिल को खुद से खफा रखोगी
रोज आता हूं.. मगर तुम देखती नहीं
तुम आंखों पे कब तलक पर्दा रखोगी-
तसल्लियाँ मजबूत रखती है इरादे।
वरना दिल को गुजरे तो जमाने हो गए...-
कोई नही समझेगा इस तड़प को राघव
पकवानों ने भूख अभी.. देखी ही नहीं है-
शायद दुआ से ही मुझे आराम आएगा
हक़ीमों ने जवाब दे दिया है नब्ज़ देखकर-
तुमसे माँगा था वस्ल याद नहीं माँगी थी
इस तरह अश्क़ की तादाद नहीं माँगी थी
हमने हक़ से तुम्हें माँगा था मुहब्बत में यूँ
हक़ ही माँगा था ये फ़रियाद नहीं माँगी थी
तुमसे माँगी थी हक़ीक़त में इश्क़ की बाज़ी
तुमसे बातों में फ़क़त बात नहीं माँगी थी
हमने चाही थी सितारों की हक़ीक़त तुमने
ऐसे ग़म ढाती हुई रात नहीं माँगी थी
ये भी अच्छा था हमें ग़म के ना तोहफ़े देते
कोई जादू या करामात नहीं माँगी थी???-