किस दौर का कानून मिला उन बूढ़ी आँखों को
ऐसी सज़ा देने का ये लोग कहाँ से ऐलान ले गये
आखिरी साँस से पहले ही मुस्कान छीन ली गई
गेरूआ कपड़ों का मान तो दूर बेरहमी लोग जान ले गये
वो ख़ाकी वर्दी के पीछे बार-बार छिपता रहा मगर
कानून के लम्बे हाथों से छीनकर उसे इंसान ले गये
कुछ फ़ायदा ना रहा भविष्य की बनाई गई सूची का
छिनकर उजाला उसकी आँखों से आज शाम ले गये
मेरी सरकार ठहरकर सम्मानित करेगी उन दरिंदों को
या उस रात वो अपने बनते काम का दाम ले गये
बेनाम उन दुष्टों से कहो उनकी आत्मा वहीं भटक रही होगी
भले ही लोग झाड़-पोंछ कर सारा सामान ले गये-
कम कपड़ों में तवायफ़ के भी उसूल है यहां,
और कुछ खादी पहने मुझे नंगे नज़र आते हैं !!
کم کپڑوں میں طوائف کے بھی اصول ہیں یہاں..
اور کچھ کھادی پہنے مجھے ننگے نظر آتے ہیں !!-
मिठीत घट्ट पकडून ठेवीन तुला,
हृदयात सांभाळून ठेवीन तुला,
ये तू कधी स्वप्नात माझ्या,
त्या स्वप्नात ही सजवून ठेवीन तुला,
जे कधी न संपणारे प्रेम असते,
ते प्रेम बनवून ठेवीन तुला..!-
विसरत चालला मला की कधी आठवतो ही कुणास ठाऊक,
का त्यानी मला आज ही हृदयात ठेवलं कुणास ठाऊक...!-
गुमान है मुझे हिंदुस्तान मेरी जन्मभूमि है,,
और गर्व है मुझे मैं "महाराष्ट्र" में जन्मी हूं...-
आम्ही महाराष्ट्रात जन्म घेतला
याचा आम्हाला अभिमान आहे.
आम्हाला मराठी भाषेचा अभिमान आहे.
आम्हाला आपल्या संस्कृतीचा अभिमान आहे.
आमची निष्ठा मातीशी आहे.
महाराष्ट्र दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा!
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अगर पालघर ग़लती से यूपी में होता तो चूड़ियाँ टूटने की इतनी आवाज़ आती कि कोरोना मर जाता..
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महाराष्ट्र के राज्यपाल ने थक हारकर
राष्ट्रपति जी को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया ।
महामहिम राष्ट्रपति जी ने बिना देरी किए तत्काल
प्रभाव से महाराष्ट्र में अपना राष्ट्रपति शासन
स्थापित कर दिया ।
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