कर्ण
वो था अति बलशाली,
अति अभिमानी,
अति प्रकर्मी,
महा दानी,
परम वीर,
जान से बढ़कर थी दोस्ती,
शान से निभाही दोस्ती,
मन,कर्म से की दोस्ती,
उस वीर की दोस्ती,
मां को दिया वचन भी निभाया,
दोस्ती का धर्म भी निभाया,
हमेशा श्रापित नाम पाया,
गया जब छोड़ काया,
तब पता आया,
एक भाई गया दुनियां को छोड़ ।।।
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