तेरे राह में आये कितने भी दुर्गम बाधाएँ
चाहे खुले आसमान से बरसे ज्वालायें
रुकना नहीं डरना नहीं तुझे आगे बढ़ना होगा
पाना है अगर मंजिल तो संघर्ष की भट्टी में जलना होगा-
🤞सिविल सेवा अभ्यर्थी , ✍️शौकिया लेखक
🎸🎼 संगीत प्रेमी... read more
प्रभात हो या रात हो, चाहे जैसे हालात हो
हिमालय की चढ़ाई हो,राहों में कितनी भी कठिनाई हो
बढ़ता चल रुक जाना नहीं
जब तक मंजिल को पाना नहीं
वक़्त ना ख़राब कर, हर पल का हिसाब कर
गलतियों को स्वीकार कर, फिर उसमें तू सुधार कर
बहाने बनाना छोड़ दे, मेहनत कर जी तोड़ के
हिम्मत की चादर ओढ़ के, तुफानों का रुख मोड़ दे
आलस का कर दे त्याग तू,पानी में लगा दे आग तू
खुद में रख विश्वास तू,नित दिन कर अभ्यास तू
असफलताओं से घबराकर न हो निराश तू
हौसलों की उड़ान से छू ले आकाश तू
दृढ़ निश्चय के साथ करता रह प्रयास तू
धैर्य का दामन थामे रह इक दिन लिखेगा इतिहास तू
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पुरुष प्रधान समाज से माँ की ममता हार गई
आज फिर बेटे की चाहत में एक बेटी की जान गई-
सूरज की लाली बन, तेरे होठों से लग जाऊंगा
बाँहों में भर के, तुझे चूम जाउँगा
बनके रूह, तेरे जिस्म में बस जाऊंगा
तेरे इश्क़ की आग में, जलकर राख हो जाऊंगा
तुझे पाने की चाह में, हद से गुजर जाऊँगा
गर जहर भी दे दी तुमने तो, मुस्कुरा के पी जाऊंगा
द्वन्द मौत से हुई तो क्या, मौत से भी लड़ जाऊंगा-
जैसे तुम ढालोगी ,वैसे मैं ढल जाऊंगा
माना हूँ सख्त, तुझे देख पिघल जाऊँगा
कितनी भी ठोकरें खाऊं , तुम साथ हो संभल जाऊँगा
हाथ तो पकड़ सही, वरना मै भटक जाउंगा-
मेरे प्यार के इजहार को, इक बार तू स्वीकार कर
कभी किसी मोड़पर, तुम्हे छोड़कर न जाऊंगा
हाथ मेरा तुम थाम लो,साथ उम्र भर निभाउंगा
जो जीत है पसंद तुम्हे, वो जीत कर मैं लाऊंगा
तेरे हर ख्वाहिशों को , पूरा कर दिखाऊंगा
जो गीत है पसंद तुम्हे, वो गीत गुनगुनाऊँगा
जो रीत है पसंद तुम्हे, वो रीत अपनाउंगा
जात-पात भूलकर, तुझसे रिश्ता मैं बनाऊंगा
सब हैं मेरे गुलाम , मै तेरा बन जाऊंगा
तेरे हर अंधकार को, प्रकाश बन मिटाऊंगा
तेरे हर मुश्किलों का, हल मैं ढूंढ लाऊंगा
तेरे हर मर्ज की, दवा मैं बन जाऊंगा
तू ' हाँ ' बोल करके देखना, सबको 'ना 'बोल आउंगा
तू याद करके देखना, नंगे पाँव दौड़ आउंगा
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आखिर कब तक बेटियां बनती रहेंगी दुष्कर्म की शिकार
सम्मान के साथ जीने का उन्हें भी है अधिकार
समाज की गन्दी है मानसिकता गंदे हैं विचार
लोग कहते हैं छोटे कपड़ों की वजह से होता है बलात्कार
कोई इनसे पूछे फिर क्यूँ दूधमुंही बच्चियाँ होती हैं हैवानियत का शिकार
थानों और अदालतों का चक्कर लगाते रहते हैं पीड़ित परिवार
बरसों बीत जाते हैं करते हुए न्याय का इंतज़ार
जब खाकी ही बन गयी है अपराधियों की मददगार
तो कैसे सुनी जायेगी मदद की गुहार
अब किस पर करें विश्वास, जब खून के रिश्ते भी करें शर्मसार
लोकलाज और धमकियों में दब गई न जाने कितनी चीख-पुकार
सहानभूति के नाम पर सियासत करती हर सरकार
समाज हो या सरकार सब हैं जिम्मेदार
दोनों करते हैं दोहरा व्यहार
आखिर कब तक हम ठहरायेंगे बेटियों को क़सूरवार
आखिर कब फांसी पर लटकाए जायेंगे असली गुनहगार-
जब किसी परीक्षा में मैं असफल होता हूँ
मन ही मन बहुत रोता हूँ
तब कुछ लोग कहते हैं, तुमसे ना हो पायेगा
मेरी माँ गले लगाकर कहती है
बेटा धैर्य रख, तेरा भी वक्त आएगा
आज नहीं तो कल, तू सफल हो जायेगा
कल तेरे जीत के जश्न पर, ये विलाप करेंगे
आज 'तू ' कहने वाले, कल तुझे 'आप' कहेंगे
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मै तुमसे प्यार, कुछ इस कदर जताऊँगा
तू सबको भूल जायेगी, सिर्फ मैं याद रह जाऊंगा
कुछ इस तरह, मैं अपनी छाप छोड़ जाऊँगा
तुम देखोगी जब आइना, मैं ही नज़र आऊंगा
ऐसा मैं रंग हूँ , जो लगा तो मिट न पाउँगा
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