इश्क़ का, यारों, कोई अंजाम नहीं होता,
हर इश्क़ में आशिक़ बदनाम नहीं होता।
मिल जाए जो हमसफ़र सच्चा किसी रोज़ तुम्हें,
तो समझना, प्यार जैसा कुछ भी खास नहीं होता।
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Farebi ankhOn wali,
Tu bhi farebi nikli.
Dawa kah ke dard dene wali,
Tu to karibi nikli.-
तुम रकीब का हाथ,
थोड़ा ज़ोर से पकड़ना,
क्योंकि यहाँ जुबां से भी ज्यादा,
हाथ फिसलते हैं💔-
अब जाओ भी तुम,
तुम्हें अपनी खुशियों का दान दिया..
तुम्हारे लिए,
गम,दर्द,तंहाई,बेसुमार नफ़रत
अपने नाम किया..-
उसकी आंखों में अपने ख्वाब देख आया हूं।
लबों पे उसके प्यार बे हिसाब देख आया हूं।
खुद्दारी में मोहब्बत मांगी नहीं मैंने।
बस उसकी खिड़की में गुलाब फेंक आया हूं।-
हाँ,मैं इस दौर की शायरा हूँ,
जहाँ आशिक रूह से नहीं,
जिस्म से बातें करते हैं💔-
लेकर नाम अपनी मोहब्बत का कभी उसे बदनाम नहीं करेंगे,
लाख़ पूछेंगा ज़माना हमसे हम मुस्कुराकर उसे गुमनाम कहेंगे।-
मैं दिल का एक कोना खाली रखूंगा,
दूंगा नाम तेरा और उसे तन्हा रखूंगा..!-
चाय हो या इश्क़ मुझे ,
दोनों में मिलावट पसंद नहीं है ।।
और हम दोनों के बिच कोई और आय ,
ये मुझे पसंद नहीं है ।।
और जाना जब मिलो किसी और से ,
तो जरा दूरियां बना कर रखना ।।
तुम्हारा किसी और के साथ नजदीकीयां ,
बढाना ये मुझे हरगिज पसंद नहीं है ।।-
"तुमने तो ठुकराया हमें पत्थर समझ कर थोड़ा तराशा होता तो हीरा ही निकलते"
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