" तुम्हें कब पाया है मैंने,
मगर फिर भी दिल तुम्हें खोने से डरने लगा है ,
मैंने दिल को हजारों दफा कहा है,
कि इतना परेशान नहीं होते ,
पर यह हर वक्त तुम्हारे ख्यालों में ही रहता है
इसलिए कभी बेचैन तो कभी खुश रहता है ,
मैं नासमझ हो गई हूं तुम्हारे इश्क में सुबह की पहली याद,
और रात की आखिरी बात तुम ही हो गए हो मेरे लिए,
तुमसे बातें करना मुझे सुकून देने लगा है,
तुम्हारी तस्वीर को सीने से लगाकर तुम्हें अपनी बाहों में महसूस करना,
मुझे रूहानियत महसूस करवाता है,
हां तुम्हारा मेरी रूह से मुझसे रिश्ता सा बन गया है,
एक उलझन में रहता है दिल मेरा,
तुझसे इतना प्यार कैसे हुआ मुझे,?
मगर जवाब तो होता ही नहीं ना इश्क में,
यहां तो लोग मोहब्बत करके भी पूछ लेते हैं,,
कि यह प्यार कैसे होता है,,,,,"
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