" जब तुम्हें लगे कि तुम खो रहे हो खुद को,,,
आ जाना करीब मेरे,,,
तुम्हारा माथा चुम लूंगी मैं,,,
तुम्हें बांहो में भरकर कहूंगी
हां मैं हूं तुम्हारी,, तुम्हारे साथ हर पल,,,
जब तुम मिलोगे मुझसे,,
समेट लूंगी एक मुलाकात में,,,
महिनो का प्यार,,,
और उस एक स्पर्श में भर लूंगी,,
अपनी और तुम्हारी बेशुमार चाहत,,,
जब लौटूंगी वापस तुमसे मिलकर,,,
तो बस एक हल्की मुस्कान के साथ,,
तुम्हें बाय कहूंगी,,,
तो मेरी नम आंखे होगी,,,
पर जानती हूं तुम अपनी हथेली में भरकर मेरा चेहरा चुम लोगे,,
तो मैं तुमसे विरह के उस दर्द को जरा भूल जाऊंगी कुछ पलो के लिये,,,
मगर तुमसे लिपटकर रो दूं तो सम्भाल लेना मुझे,,,
क्योकि जानती हूं कि तुमसे बिछडूंगी तो नही,,,
तुम्हारे साथ,, तुम्हारा साथ हर पल रहेगा,,,
लेकिन तुमसे मिलकर तुमसे दूर जाना,,,
मेरे लिये दर्द से भरा होगा,,,
क्योकि इश्क में बिछडने और खोने का ही डर होता है,,,
वरना वो इश्क, इश्क कहां होता है,,
जहां जुदाई पर आंसू ना निकले,,
मैं भी हंस लूं और तू भी हंसे,,, तू भी हंसे,,,,,, "
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