Shivam Mishra   (शिवम् मिश्रा)
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Joined 8 December 2022


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8 APR AT 16:15

'अक्षर' 'शब्द' 'तरीके'
मौन 😔
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कैसे कितने और कौन??

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2 APR AT 17:24

लिखता रहा बेचैनी और उस शहर को
चुनता रहा खुदकुशी और इस जहर को

मेरा कुछ बचा नही था उस असबाब में
यू ही चलता रहा क्यों मैं उस सफर को

रहे सबा में सांसों का वो चलन कब तक
खुद अंदर लिए बैठा हूं मैं जिस कहर को

शायद इसीलिए लौट कर आती नही है
किनारे से जो हो गया है लगाव इस लहर को

मेरे बाद मेरी खुशनसीबी का गला घोटोगे?
जाने क्यों रोग सा लग गया है मेरी मेहर को

जाने क्यों सब बहुत जल्दी में हैं आजकल
रोक ही लेंगे सब क्या जाते हुए गहर को

अदद एक या कई नहीं पड़ता फर्क वर्षों से
बीत ही जाना है आने जाने वाले पहर को

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23 DEC 2023 AT 17:28

एक छोर आसमान का भी ज़मीन पाया है,
वो टुकड़ा आग का देखो नमी पाया है!!

किस्मतों से रास्ता पाने वालों सुन लो ,
पाने वालों ने कोशिशों से खुदा पाया है!!

लोग आज भी अपने मलाल लिए बैठे हैं,
रेत में रहने वालों ने समन्दर कहां पाया है!!

अब जिस तरह भी बसर हो जिंदगी कर लेंगे,
हर दिन यहां हमने एक दर्द नया पाया है!!

गिरकर जो रोज एक शीशा नया टूट जाता है ,
सामने खुद के क्यों अक्सर खुद को डरा पाया है !!

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22 NOV 2023 AT 14:00

मन बैरागी न चंचल हठ
क्यों हो बैठा ये दिल नटखट!

आते जाते हैं ख्वाब यहां
अंदर की है सारी खटपट !

पक्का मेरा अनुमान नही
अंदाज मुझे बेचैनी है !

आखिर मैं कैसे सोता हूं
आफत में हैं मेरे करवट!

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28 OCT 2023 AT 10:04

नर्म होंठों के किनारे से मजा पीने का
गहरी आह में बढ़ता वो दर्द सीने का ।
❤️💗
मगर यकीन फिर भी जिंदा दोनो तरफ
तेरे मिलन के बाद मिला अर्थ जीने का ।
❤️💗
हृदय गति को तेज होते देख रुकता नही
गहरा तेरे संग हुआ है प्यार इस कमीने का ।

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2 OCT 2023 AT 10:28

प्रव धर्मचक्र से बंधे हुए लोगों को रोज़ जगाते थे
जनमानस के मन में बसते जन जन में अलख जगाते थे।।

सत्याग्रह पर विश्वास अटल रुकते क्यों जब मंजिल ठानी
लेकर ही माने आजादी हां रीत वही फिर थी आनी।।

उनके चरणों में शीश मेरा आदर्श कहां तुम पाओगे
उन जैसा भेष नही जग में आगे फिर न तुम पाओगे।।

भारत गौरवशाली पावन ये युद्धभूमि है वीरों की
ये वीर शिरोमणि था ऐसा जिसने गोरों से लड़ छीनी।।

बढ़ चला था जिस रास्ते पर वो उसपर हम आगे जायेंगे
ले देश प्रेम का भाव उदर भारत का ध्वज फहराएंगे।।

जिस तरह भी संभव हो पाए प्रण हम ऐसा अब करते हैं
दर्शन पर उनके चलना है उनकी श्रद्धा में बढ़ते हैं।।

बच्चों बूढ़ों में ज्ञान बड़े हम गीत उन्हीं के गायेंगे
हम सब में अब भी जिंदा हैं वो ही बापू कहलाएंगे ।।

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25 SEP 2023 AT 17:01

//"कहां आने वाले"//
(संपूर्ण रचना अनुशीर्षक में)
😌📝

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20 SEP 2023 AT 16:14

जो मिला हुआ है जन्मसिद्ध, कोई वो मान नही देता।
चाहे कर लो जितनी इज़्ज़त, कोई सम्मान नहीं देता!

है घृणा वही फिर उर लागी, कर्तव्य कहां बच पाएगा।
करता है सूरज जग रौशन, पर रौशनदान नही देता!!

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17 SEP 2023 AT 13:35


संग जिए हर लम्हे की खुशनुमा सी याद लिख दूं,
बन रहे उस रिश्ते की अनकही हर बात लिख दूं।।
💖❤️🌹
उठ रहीं सीने में लहरों सी वो तेरी सांस लिख दूं,
बढ़ रही नजदीकियों से होठों की वो प्यास लिख दूं।।
💖❤️🌹
तेरी आंखों से मेरी आंखों ने क्या कुछ नही कहा,
बता आज तेरे बारे में और क्या कुछ खास लिख दूं।।

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16 SEP 2023 AT 17:21

Meri nasl ke log aakar chale jate hai
Juban se kuch nahi aankho se kah jate hai

Ishq ke liye ek Dil liye phirta hu main bhi
Aaye hue log bhi bas aakar rah jate Hain

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