बादल, जैसे ख़ुद ही आवारा बन।
ख़ुश हो लेता, मनमर्जिया नज़ारा बन।
तेरे संग हर रस्म भी,
मैं निभा, हस लेता ऐसे हीं।-
31 AUG 2020 AT 17:08
14 SEP 2019 AT 1:15
I feel like a shadow longing to be real and someday when I meet you I'll find myself the real me
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6 OCT 2022 AT 15:48
तरसु तेरे करीब आने को..
तेरे दीदार को तरसु,
तरसु हर रात प्यास बुझाने को..
फ़िर एक रात आग जलने को,
तरसु तेरे जिस्म कुरेदने को..
तरसु तेरे होंठ छूने को,
हर एक रात तेरा जिस्म नोचु..
तरसु तुझ संग भीग जाने को,
केसे केसे न तड़पुं..
केसे केसे न तरसु,
ये जान तरस रही है तुझ संग..
तरस रहीं हूँ तुझ संग आग बुझाने को,-
12 MAY 2020 AT 19:00
वस्ल से पहले जो सताती है,
ऐसी फुरकत कहाँ से आती है।
ठीक से याद भी नहीं आता,
आंख आंसू कहाँ से लाती है।
तेरा दीदार मौत के जैसा,
मौत मांगे से कहाँ आती है।
ना परेशां हो, ठीक हूँ मैं भी,
नब्ज़ चलती है, सांस आती है।
तुमको मरने से पहले देखेंगे,
कोई आवाज दिल से आती है।
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