आंसू यूं आये थे कि सनम ने वफ़ा न की,
आँसू भी न ठहरे तो हँसी आ गई हमें।-
कभी लब तलक दिल वो लाते कहाँ थे।
वो अपने इरादे बताते कहाँ थे।
सबब रूठने के कई थे न रूठे,
हमें वो मनाने भी वाले कहाँ थे।
तेरी ज़िन्दगी के अँधेरे मिटाते,
मेरे पास भी वो उजाले कहाँ थे।
लुटी बस्तियों में लुटेरे ही आये,
वो आये कोई घर बसाने कहाँ थे।
गई ज़िन्दगी ये गई रायगा ही,
मुझे ना मिले तुम न जाने कहाँ थे।-
कभी भी किसी को बताता नहीं हूँ,
कि जैसा समझते हो वैसा नहीं हूँ।
तुम्हें ये पता भी नहीं है मेरी जाँ,
जो तुम हो तो मैं हूँ वगरना नहीं हूँ।
धड़कते हुए दिल से पूछा है मैंने,
मैं क्या हूँ बता और बता क्या नहीं हूँ।
"नहीं" लफ्ज़ हर इक गज़ल में है मेरी,
"नहीं" पर किसी से मैं कहता नहीं हूँ।
मैं इसको मुहब्बत समझता हूँ गुंजन,
जो रूठे कोई तो मनाता नहीं हूँ।-
छोड़ न पागल, ख्वाब का बादल, बरसा है न बरसेगा,
शाम ढली है, दर्द का कोई, नगमा गा ले, महकेगा।-
कई रातें बीतीं कई गीत गाये।
मगर तुम न आये मगर तुम न आये।
लिये रौशनी के दिये चल रहा हूँ,
कोई तेरी आँखों से पर्दा हटाये।
ये इक हौसला दिल को होता नहीं है,
तुम्हें भूल जाये तुम्हें भूल जाये।
है उनको भी हैरत तबस्सुम पे मेरे,
ये शब का सताया सुबह भूल जाये।
बनी एक रोटी थी मुफ़लिस के घर में,
सभी ने सभी को निवाले खिलाये।
अभी धूप के खेल बाकी बहुत हैं,
ये पेड़ों की छाया अभी न बुलाये।
न जीने ही देते न मरने ही देंगे,
तुम्हारे तग़ाफ़ुल तुम्हारी अदायें।-
तुमसे कहनी है कोई बात मगर आहिस्ता,
बात ऐसी है जो रखती है असर आहिस्ता।
फलक पे दौड़ते बादल को थाम लेता हूँ,
फिर शुरू चाँद का होता है सफ़र आहिस्ता।-
तुम्हें भूलने की सलाहें तुम्हारी,
बड़ी भूल है ये बता दें तुम्हारी।
मैं जिस पर खड़ा हूँ, जमीं भी तुम्ही हो,
कहां दफ़्न करता मैं यादें तुम्हारी।
जमाने से बातें जमाने की करके,
मैं शब खुद से करता हूँ, बातें तुम्हारी।
नहीं, ये समझ से है आगे की बातें,
समझ क्या करे जब हो बातें तुम्हारी।-
अब न हैरान हो जी रहे बिन तेरे,
हाँ तबियत मेरी ठीक है बिन तेरे,
दर्द होता है जब सांस लेता हूँ मैं,
बाकी सब जान ए जाँ ठीक है बिन तेरे।-
बात कहने की है कर भला हो भला,
प्रेम पीड़ाओं की अनवरत श्रृंखला,
चाहिए इक हृदय इसमें आकाश सा,
और फिर प्रार्थना भी मिले ये कला।-