कभी तुम्हारी याद में..
कभी तुम्हारे साथ,
कैसे-कैसे खयालात में..
हर एक अंग भींगा रही हुं,
बेचैन बेबस उंगलिया मेरी..
मेरे बदन पर,
तुम्हारे नाम के साथ..
ख़ुद को सता रहीं हुं,
हर एक क़तरा प्यासा था..
तुमने सब पी लिया था,
मगर..
कल रात कुछ बाक़ी रह गया था..
जान, तुम तैयार रहना,
आज़ रात फ़िर भीगाने आ रही हुं..
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