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मेरे हिस्से की आग को तुम अपना बना लेना..
मुझे जकड़ना जोरों से, और अपने में समा लेना..
अपने हथियार को मेरे मयार पर रखना..
जैसें हि तड़पु में, तलवार चला देना..
दिन रात एक ही शोर रहेगा..
Ahh..ufff..aauchhh.. प्लीज़ नहीं का..
धीरे-धीरे मुझे और तड़पा देना..
भीग जाऊंगी तुम्हारी बारिश में जाना..
डालके अपने अरमान सब कुछ हिला देना..
कभी ऊपर से, कभी निचे से..
हर तरफ से अरमान भीगा देना..
करके सारे जतन जोरों से,
और एक आख़िरी झटके के साथ..
मुरझाए पड़े सारे फूल खिला देना..-
तरसु तेरे करीब आने को..
तेरे दीदार को तरसु,
तरसु हर रात प्यास बुझाने को..
फ़िर एक रात आग जलने को,
तरसु तेरे जिस्म कुरेदने को..
तरसु तेरे होंठ छूने को,
हर एक रात तेरा जिस्म नोचु..
तरसु तुझ संग भीग जाने को,
केसे केसे न तड़पुं..
केसे केसे न तरसु,
ये जान तरस रही है तुझ संग..
तरस रहीं हूँ तुझ संग आग बुझाने को,-
कभी तुम्हारी याद में..
कभी तुम्हारे साथ,
कैसे-कैसे खयालात में..
हर एक अंग भींगा रही हुं,
बेचैन बेबस उंगलिया मेरी..
मेरे बदन पर,
तुम्हारे नाम के साथ..
ख़ुद को सता रहीं हुं,
हर एक क़तरा प्यासा था..
तुमने सब पी लिया था,
मगर..
कल रात कुछ बाक़ी रह गया था..
जान, तुम तैयार रहना,
आज़ रात फ़िर भीगाने आ रही हुं..-
मेरे बदन पर अपने सारे निशान छोड़ दो
एक एक अंग पर आप अपनें छाप छोड़ दो-