कुम्भ के मेले सा मन उसका
हाथ पकड़े हुई यादें मेरी ❤-
डूब गया हूँ मैं, इसलिए डुबकी है ज़रुरी।
मोक्ष की प्राप्ति या, पाप-पुण्य का बैराग।
अनुशिर्षक:====>-
तु लिख दे तो गीत,गुनगुना ले तो साज़ हो जाऊँ मैं
कर वादा हर बरस कुंभ की तरह आने का,
तो तेरे रंग में रँगा प्रयागराज हो जाऊँ मैं💞-
संगम की धरती का अलौकिक नजारा, प्रयागराज में कुंभ का उत्सव दोबारा ।
गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन, श्रद्धा का संगम, भक्ति का चयन ।
दिव्य स्नान में डुबकी लगाएंगे, पुण्य की गंगा में मन को बहाएंगे।
हर हर गंगे के जयकारे होंगे, आत्मा के सारे पाप विसराएंगे।-
आओ जन्नत दिखाती हूं,
कुम्भ के मेले की सैर कराती हूं।
फूलपुर, झुसी,संग नैनी फाफामऊ का जिक्र कराती हूं,
प्रयाग अर्थ प्रेम को समझाती हूं।
सुबह-ए-संगम चाय के साथ जन्नत दिखाती हूं ,
आओ अपने प्रयागराज की सैर कराती हूं....।।
भूमिहार मुस्कान शर्मा....✍-
देश का हर शहर देखो वीरान है,
प्रयागराज में बसा आज पूरा हिंदुस्तान है।-
प्रयाग:- गंगा,जमुना,सरस्वती देवी का संगम
राज:- राज्य
प्रयागराज:- जिस राज्य में गंगा,जमुना एवं सरस्वती देवी
का वास है वह तीर्थ स्थल प्रयागराज है...-
महाकुंभ में लोग गए किसलिए हैं
यह बहुत ही आश्चर्य का विषय है
जिस महाकुंभ से ज्ञान, विज्ञान और
आध्यात्मिक लाभ लेना चाहिए
वहाँ लोग इसको Viral कर रहे हैं कि
कौन मोनालिसा है किसकी आँखें सुंदर हैं
Circus दिखाने वाले बाबाओं पर
कौन नागा साध्वी सबसे सुंदर है
कौन नागा बाबा गुस्से वाला है
बस इन्हीं सब बातों पर सोशल मिडिया
और नेशनल मिडिया केंद्रित होकर रह गया है
जबकि महाकुंभ भगवदीय ज्ञान का
भगवद भक्तों का,वैराग्य का संगम है
जहाँ आस्था के पीठ पर सवार होकर
सनातन धर्म की श्रद्धा नृत्य करती है
लेकिन मूल तत्त्व से भटक कर सब
कुम्भ के उद्देश्य से भटक गए हैं...!!
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