वैसे कैसी लग रही हूं?
इन खराब हालों में,
शायद थोड़ा उलझ गई हूं तेरे सवालों में,
थी मशरूफ क्या बताऊं कितना,
खोई थी शायद तेरे ही खयालों में।-
के तू चाहिए ये मैं चाहती हूं
के तू चाहिए ये मैं चाहती हूं
तुझे सिर्फ़ मैं चाहिए
मैं चाहती हूं के ये सारा ज़माना चाहे।-
मैंने उसे रातों को सुना है,
आंखों से गिरते मोती जैसे आंसू,
फिर भी चेहरे पे खटकती मुस्कान,
ज़ुबां पे ठहरी शिक़ायत भरी ख़ामोशी,
फिर भी लबों पे सिर्फ़ मेरा नाम,
करती हूं गुस्सा उसके मायूस हो जाने पर,
फिर भी कहता तू सिर्फ मेरी है "जान",
शिकवा गिला तो कभी करता ही नहीं मुझसे,
फिर भी मुस्का के कहता है तू बस मेरी एक बात मान,
अकेला है कितना ये शायद ख़ुद भी नहीं जानता,
सबने देखी है बस उसकी मुस्कान,
काश किसी को दिखें गम इसके हज़ार,
जो मुझे दिखते हैं उसकी आंखों में हर बार,
ख्वाबों में भी उसने सिर्फ मुझको ही बुना है,
हां मैने उसे रातों को सुना है।-
तुझे पाने की महज़ ख्वाहिश ही नहीं,
तेरे मिलने की दुआएं भी मांगती हूं।-
प्यार निभाना पड़ता है.....
गर हो जाए तो जताना भी पड़ता है,
मुश्किल में हो जो यार हमारा,
हार जाऊं संसार सारा,
रोके भी उसको हंसाना पड़ता है,
प्यार निभाना पड़ता है.......
वक्त बेवक्त फिक्र उसकी,
मुहब्बत मैं हूं जिसकी,
रूठ के भी उसको मनाना पड़ता है,
प्यार निभाना पड़ता है.......
बहाने दे के ना दूर होते हैं,
ना कभी मजबूर होते हैं,
संग मिलके हर पल को सजाना पड़ता है,
प्यार निभाना पड़ता है......-
पता है सब मालूम भी है,
मन भी घबरा रहा है,
क्या करूं?
दिल लगता ही जा रहा है।-
बोलो तुम्हें बतलाऊँ कैसे,
सबके दिल को मनाऊं कैसे,
खुद को तो बहला लिया,
मगर तुमको फुसलाऊं कैसे,
डर है खुद को खोने का ,
तुमको करीब पाऊं कैसे,
मुश्किल में हूं समझो ज़रा,
हर पल तुमको समझाऊं कैसे,
भीड़ खूब है दुनिया में,
मगर उस भीड़ में गुम जाऊं कैसे,
खोज भी ना पाओ कभी जी करता है,
ऐसे कहीं छिप जाऊं कैसे....-
है तकरार, है इन्कार
तो क्या?
ज़ाहिर नहीं करते, है प्यार
तो क्या?
तेरे हर दर्द से दिल दुखता है,
करते नहीं इज़हार,
तो क्या?
मासूम सा है तू नज़रों में मेरी,
तेरी नज़रों में मैं गुनहगार,
तो क्या?
मांगती हूं हर दुआ में तुझे रब से,
तुझे नहीं है ऐतबार,
तो क्या?-
रूक्मणी बनने की चाह नहीं मुझको,
राधिका बनने की तलाश में हूं,
तू मिल जाएगा इक वार मुझको,
झूठी ही सही मगर इस आस में हूं,
गुज़ारिश है तुझसे... बस मान जाना तुम....
जो बनी मैं राधिका ,
तो मेरे श्याम बन जाना तुम,
वनवास की चिंता नहीं,
तेरे साथ की तलाश है,
फिर क्या जंगल क्या महल,
जब राम मेरे पास हैं,
गुज़ारिश है तुझसे.. बस मान जाना तुम...
गर मैं बनीं सीता,
तो रघुनाथ बन जाना तुम...
फेरों के सातों वचन निभाना तुम,
गर मैं बनी सीता ,
तो मेरे राम बन जाना तुम ...
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