बदल रही हैं कुदरत अपने मिजाज को।
तरस गये हैं लोग हर देश मे इलाज को।
कुदरत तरसी थीं कभी हमारी खताओं से।
जब पेड़ भरे रहते थे घनी लताओं से।
अधमरे पड़ें हैं लोग,
सबकी मौत का बना है योग।
क्या ये वाकई हैं संयोग।
दुनिया भर में फैला है रोग।
याद आ रहे हैं सबको गॉड।
बेबस हैं हर बड़ी हस्ती।
मौत हुई हैं इतनी सस्ती।
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ये बाल, ये गाल, ये होंठ, ये काजल
उफ़.......
लगता है जन्नत की परी है कोई-
अजी हाँ लापता फ़िर रहे थे,
अब होश आया तो बस थम गए,
और जाना की हम बेवजह ही,
उनकी तरफ रुख़ कर रहे थे!!!-
मुझसे राबता था शायद,
सब क़रीब थे शायद,
अब कोई दरमियाँ भी नहीं शायद!!!-
यह सहर का सन्नाटा बता रहा है कि इंसान ने
कुदरत से खिलवाड़ बहुत किया है-
जो चीज तुम्हारे नसीब को नामंजूर होती है ना,
वो चीज कुदरत को भी तुम्हारे लिऐ कुछ खास रास नहीं अति है।-
Kudrat ko chale thai kaid karne insan
Kudrat ne Batla diya ki tera hai isme nuksan
Soch rahe thai sab ki Kudrat hai unki Gulam
Kudrat ne batla diya ki wo sirf apne baccho pe thi meherbaan-
Ye saheron ka sannata bta rha hai
Insan ne kudrat se khilwad bhut kiya hai! 🙁-
मुफ्त में कुदरत ने
कुछ भी नही दिया
एक साँस को लेने के लिए
एक साँस को छोड़ना ही पड़ता है !!
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जो लोग मिली हुई चीज को छोड़कर उस
चीज के पीछे भागते हैं,
जिसके मिलने की कोई उम्मीद ही ना हो,
ऐसे लोग
मिली हुई चीज को भी खो देते हैं sd-