मग्न चिरैया🐦 ❣❣❣   (ѕнιяιη 🐼)
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Joined 12 April 2020


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क्या खूब है,
वो आसमान सा होना,
वो गरजता भी है,
वो बरसता भी है,
क्या झूमता है देखो,
दो छोर हो मानो,
मगर इक आखिर भी नहीं,
और क्या कहने वहीं,
आसमान सा मन ही तो है,
इक मन कहने को,काश,
यूं हो जाए इक बार ही सही,
हर बार ही सही,
मचलता तो है बेबस खुदगर्ज,
वो रूठता तो है बचपन सा है,
और फ़िर खुद ही दो किनारे मिलते हैं,
फ़िर उसी चाह में काश यूं हो जाए ,
क्या खूब है न।।।

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एहसास,इक एसी बला है,
जनाब अच्छों की नींद उड़ा देता है,
चाहे वो एहसास चोरी करके हो,
या फ़िर इक बीते हुए खुश मिजाज़ से पल का,
एहसास।।।

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मुशक्कत वक्त के साथ की जाए,
तो लाजवाब कहलाती है,
बेवक्त मुशक्कत बेसबब बन जाती हैं।।।

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जिसने इक बार में सब वक्फ कर दिया हो तो,
क्या अगली दफा मुंतजिर हुआ जा सकता है भला।।।

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बेहतर है बेवजह सब‌,
क्योंकि हर वजह मुकम्मल नहीं जनाब।।।

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मैं कभी ख़फ़ा नहीं तुमसे,
इतनी सी इल्तज़ा है के,
बेबस मत किया करो तुम्हारे होने से।।।

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खालीपन,
कुछ यूँ कह लो ,
के अजीब है,
कुछ सवाल जैसे सवाल ही रहने दिया जाए,
तो अच्छा है,
इसी तरह खालीपन को खाली ही रहने दिया जाए, तो अच्छा है,
जैसे सवालों के जवाब पाकर ,
मन उथल पुथल मचाता है ,
चाहे फ़िर वो खुशी हो या दु‌ख या खालीपन,
वैसे ही खालीपन को खाली ही रहने दिया जाए तो अच्छा,
न जाने कब भर उसे झंझोड़ दिया जाए या मचलता हुआ छोड़ दिया जाए,
बेहतर है के इसे खाली ही रहने दिया जाए,
सखी सा है जुदा न किया जाए तो भला है,
क्यों उखड़े मन से और उखड़ा दिया जाए,
कुछ अजीब होगा,अगर कामना को पूरी करने में खालीपन को भरा जाए,
उसके बाद तुम शून्य पाओगे खुद को,
तो बेहतर है खालीपन ही रहने दिया जाए,
खालीपन बस अजीब सा खाली है।।।

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मन मौन है कहने को,
मगर उथल पुथल सा मौन है,
कुछ पल मैं कुछ पाती हूँ,
अगले ही पल खुद को सवाल पाती हूँ,
जी करता है इक आड़ में बैठ,
मौन ही रहूँ और बस उस आड़ में उड़ेल दूँ,
मौनता को मौन से ही,
वही श्रोता हो और आड़,
मौन सा उथल पुथल मन,
इक ओर‌ मैं सवाल और आड़,
मन मौन है कहने को बस उथल पुथल सा।।।

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कभी कभी सोच कर अपना आप खोती हूँ,
हर‌ वक्त तो नहीं यार बैठें हैं।।।

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बहुत बदल गयी है न,
खुद के पन्नों पर,
मुस्कुरा रही है न तू,
वो जो कभी रातों में ,
जाग कर आहें भर कर,
अपने लफ्ज़ों को बिखेर दिया करती थी,
वो जो तुझसे बोला करती थी,
बदली नहीं अभी तक,
बहुत बदल गयी है न तू,
वो जो छोटी छोटी बातों पर,
अपनी आँखों से बरसात किया करती थी,
सब उसी पल बहा दिया करती थी,
वो जो हर पल सवाल किया करती थी,
क्यों, कैसे वो जो रात भर,
खुद से ऊपर वाले से बातें किया करती थी,
आज अपने ही अल्फ़ाज़ों पर मुस्कुरा रही है,
वो पन्ने जो हर पल खबरें लिया करते थे,
आज वो दिन है जब तू अपने ख्यालों से शायद,
आजाद है आज वही पन्ने तुझे खबरों से महफूज़ कर रहें हैं,
बहुत बदल गयी है न!!!

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