मेरी ज़िन्दगी ने जनम दिन से कहा
तुम्हें मनाने केलिए कई दिन इंतज़ार में होते है,
पर सिर्फ एक दिन तुमसे दूर रहे कर
मुझे आबाद रखता है,
तुम्हारी मृत्यु का
तब जनम दिन ने एक खूबसूरत जवाब दिया,
जनम दिन से लेके मृत्यु के दिन तक
अगर इंसान कोई रिश्ता निभाता है तो
वो ज़िन्दगी से होता है।
तुम जनम और मौत के बीच कि वो डोर हो जो
जनम का वजूद है और मौत का इंतज़ार हो।— % &-
100 झूठ बोलकर
तुम उस मंज़िल तक पहुच ही जाते हो
जिसके रास्ते तुम भूलने का दावा करते हो,
पता है इसे किया है तुमने?
उस ज़िन्दगी से रिश्ते तोड़ लिए
जिस ज़िन्दगी के रास्ते तुम्हारी मंज़िल
पर खत्म होते थे।— % &-
जिस तरह से आज मैं पराई हूँ
उस तरह से कल तुम भी जुदा होंगे,
जिस हालत कि आज मैं शिकार हूँ
कल तुम उस बर्बादी के गवाह होंगे।
जिस तरह से शोर में रहे के
मैं गुम नाम हूँ,
उसी तरह से ख़ुशी में सुकून कि तलाश करते
तुम खुद एक शोर बन जाओगे।-
दुआ का यकीं होता है कल,
कल आज का यकीं होता है,
आज कल कि दुआ में होता है।
और,
दुआ आज कल समय का यकीं बन गया है।-
उस लगाओ को क्या भूलना
जिसमे जज्बात मौजुद हो,
उन यादोँ को कैसे भूलना जिसमे
हम दोनो मौजूद हो,
इस दिल का दरिया तो एक तेरी गहराई मे डूब गया
पर तू न जाने मुझे किस किनारे छोड़ गया।-
To me,
Somebody came ' to me' to
Tell that somebody is there for me,
Somebody said ' to me' that
Somebody care's for me.
Everybody needs to know that
Someone is always there for me,
Somebody might even know
That ' someone ' is the soul in me!.-
ना पड़े किसी ख़ुशी पर
दर्द का साया ,
ना हो किसी उम्मीद का भरी आँखों से
कोई वास्ता,
ये साल ना हो सिर्फ अरमानों से भरा
कुछ आपके आज में हो वजूद हमारा।
मिलके चल उस अल्लाह के शुक्र गुजार बने,
जिसके एक जहाँ में हम आबाद रहे
और दूसरे जहाँ मे
उसकी बदौलत ज़िन्दगी जन्नत बने।-
क्या तुम?।
क्या तुम उसी पन्ने पर हो
जिसकी कहानी तुम से
'हुम' बनी चाहिए थी,
क्या तुम आज भी उसी वक़्त में हो
जिस पल का वजूद
हमारी मुलाकातों से बनता था,
क्या तुम आज भी उसी होश में हो
जिसे दूर रहे कर तुमने
रिश्तों में बेहोशी का ज़हर घोल दिया।
क्या तुम अभी उसी ख्याल मे हो,
जिसे सोच कर
मैंने ये लिखा
क्या तुम अभी उसी ख्याल में हो
जिसे सोच कर शायद मैंने ये लिखा।-
बेटी के भरी आँखों कि
पिता एक ऐसी उम्मीद होती है,
जो उसके होटों पर उम्मीद के बोल
सजा देती है।
बेटी के हिम्मत कि
पिता एक ऐसी ताकत होती है,
जो बेटी के ख्यालों को इंसाफ देती है।
रिश्ता नहीं होता है ये
जज्बात होते है,
एक बेटी के नाम से पिता में ज़िंदा रहता है और
एक पिता के नाम से बेटी कि रग में बस्ता है।-
बड़े प्यार से समेट रहा था वो
उन कांच के टुकड़ों को
जिसने उसके मुताबिक मेरी प्यास बुझाई थी,
और मेरे सच के मुताबिक
उसने कुछ सांसें उधार कि दी थी।-