QUOTES ON #KUCHBATEEINANKAHI

#kuchbateeinankahi quotes

Trending | Latest
6 JUL 2021 AT 10:01

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5 MAY 2021 AT 0:40

एक नासमझ सी लड़की ,
सब कहते है _
खुल के हस दू ,
तो सब बच्ची कहते है _
थोड़ी मजाक क्या कर लू ,
तो सब पागल कहते है _
मुझे समझने की जगह ,
वो मुझे IMMATURE कहते हैं _ 🌸

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22 JUL 2020 AT 13:44

दुनियां का सबसे कठिन काम होता है!
एक स्त्री होना !

हर कदम पर कुर्बानी देनी होती है!
बचपन में भाई के लिए!

जवानी में मां-पिता की इज्ज़त के लिए!
और शादी के बाद पति की खुशी के लिए!

और फिर भी पुरुष कहते हैं!
तुमने मेरे लिए किया ही क्या है!

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9 JUL 2020 AT 21:51

हमें रिश्ता निभाना था और उन्हें हमें छोड़ कर जाने की जल्दी थी कुछ यूं था हमारा रिश्ता मैं घंटों इंतजार किया करती थी उनका मजाल जो उन्होंने हमारा इंतजार खत्म किया हो हम एक रिश्ते में होते हुए भी एक साथ नहीं थे कुछ यूं था हमारा रिश्ता एक साथ होते हुए भी अजनबी से थे हम कहने को बहुत कुछ हुआ करता था लेकिन सुनने को कोई नहीं कुछ यूं था हमारा रिश्ता आंखों में कई ख्वाब थे एक दूसरे को लेकर पर शायद उन्हें पूरा करने की हिम्मत ना थी दोनों में कुछ नहीं था हमारा रिश्ता वक्त तो था पास पर उन्हें बिताने के लिए साथ कोई न था कुछ यूं था हमारा रिश्ता.. 💔

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20 APR 2021 AT 21:48

waqt agya hai jane ka,, zindegi ki marramatt jo baki hai...
samjhna maat ki daar gye hum,,ye bas tuffan ki pehle ki shanti hai.....

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11 JUL 2021 AT 14:14

मेरे सामने बैठा है,,मुझे आज़मा रहा है वो,
मैं सोच रही हूँ कि क्या जता रहा है वो?

कोई दिल-ए-तमन्ना,,के जो छुपा रहा है वो,
या नहीं है कोई दिल में तमन्ना,,बता रहा है वो?

नजरें मिलाकर चाहना मुझको भरमा रहा है वो,
या फकत यूँ ही मुझसे नजरें मिला रहा है वो?

इनकार-ए-मोहब्बत करके भी निभा रहा है वो,
तर्क-ए-ताल्लुक करके भी समझा रहा है वो।

साफ लफ्ज़ो में इंकार कर फरमा रहा है वो,
फिर रुख बदलकर अपना कुछ घबरा रहा है वो।

भूल कर सब,,,नई दुनिया बसा रहा है वो,,
चाहकर न चाहकर, जैसे भी, मुझे भुला रहा है वो।

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15 SEP 2023 AT 18:05

सच्चे दिल से अगर वो हमे चाह लेते,
खुदा कसम हम उन्हे खुद मे पनाह देते...!

भूल जाते वो रकीबो को इतना हम,
उन्हे प्यार देते...!

कर देते उन पर हम अपनी जान तक,
न्योछावर अगर वो हमें एक बार अपना कह देते..!

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कुछ ख़्वाब हैं मेरे जिन्हें आँखों में लिए चलता रहता हूं
मंज़िल के करीब हूं इसलिए सभी को खलता रहता हूं

सोने को कुंदन बनाने को आग में तपाना जरूरी है "निहार"
ख़ुद को और निखार सकूं इसलिए आग में जलता रहता हूं

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5 MAY 2020 AT 0:09

यूँ तसल्ली दे रहे हैं
हम दिल-ए-बीमार को
जिस तरह थामे कोई
गिरती हुई दीवार को !

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4 MAR 2020 AT 14:02

कुछ बातें , मुलाकातें अधूरी ही रह जाती है
हर सफर में मंजिल हो ये ज़रूरी तो नहीं ।।

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