जरूरी नही की हर शाख पर फूल ही आये,-2
उनके पहलू में जीने की अदा भूल ही आये।।
गुफ़्तगू इत्र सी भिन रही थी गैरो के संग उनके,-2
हिस्से में मेरे हर बातो पे सिर्फ तूल ही आये,
जरूरी नही की हर....
गुलाब सी पैबंद पैमाइश शोख दख्तो की,-2
मेरे तो हर बख्त-ए-शाख पे सिर्फ शूल ही आये।।
जरूरी नही की हर...
फिर खारिज हुई अदालत में मेरे इश्क की अर्जी,-2
इंतखाफ-ए-कागजात मेरे फिर फिजूल ही आये।।
जरूरी नही की हर...
शदाये मिलती रही इश्क-ए-रवायत तोड़ने पर भी,-2
एक हम है जो गैरों की भी ख़ता कबूल ही आये।।
जरूरी नही की हर...-
क्षमा मेरे ईश्वर! मैं तेरी पूजा,
रोज नहीं करता।
गंदा मन और हाथ में माला,
ये ढोंग नहीं करता।।
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क्षमावशीकृतिर्लोके क्षमया किं न साध्यते ।
शांतिखडग: करे यस्य क़िं करिष्यती दुर्जन: ।।-
Life and Death
Life is always moving towards death, you see, two opposite things always attract each other.-
मन की निश्चलता से, क्रोध अग्नि में लवलीन हुआ,
आत्म की ना सुन, निजात्म से कोसो दूर हुआ,
दिल दुखाया होगा, कई हज़ार बार आपका,
नित दोषी ही रहा, फिर भी मद-मस्त तल्लीन हुआ..
आज ग्लानि का भाव लेकर, द्वार तुम्हारे आया हूं,
में मूढ़ हु, ये हाथ जोड़ बताने आया हूं
चंचल मन से हुई गलती, अब भाव विभोर हो आया हूं,
दे दो “क्षमा” का दान मुझे, ये अर्ज़ लगाने आया हूं..
M.J.-
सबकुछ ढूंढ़ता है घर के बाहर ही,
कभी तो इसकेे अंदर भी आकर देख।
खोल कभी दरवाज़ें अंदर बंद तहखानों के भी,
उनमें भी थोड़ी पूर-खुलूस फिज़ा लाकर देख।
थोड़ी सी नेकी,ज़रा सी सच्चाई और साफ़दिली,
ढेर सारे निष्काम प्यार से हर कमरा सजाकर देख।
यहां-वहां किसको देखता है?तुझे तलाश है किसकी?
एकबार अपने 'आप' से भी कभी नज़रें मिलाकर देख।
बनते नहीं साथी यहां 'खुदा' की राह-ए-तलाश में,
बेहतर है अकेले ही वहां के लिए रास्तें बनाकर देख।
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Reh gaye hum do kinaro ki tarah .
Jinka milna namumkin hai ..!!😓😓-
मेरे मन से
मेरे वचन से
मेरे अहंकार से
मेरे व्यवहार से
मेरे भावों से
मेरे कार्यों से
मेरे क्रोध से
मेरे झूठ से
मेरे ना से
मेरे शब्दों के द्वारा
जाने आंजने अगर
आप को निराश किया,
कष्ट दिया और दुःखी किया
हो तो मेरा सर झुका के
क्षमा याचना करता हूँ ||
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मिलते नहीं ग़ैरों से इन दिनों अब खुद से ही बात होती है,
खोज पूरी हुई उस कस्तूरी की जो मेरे आस-पास होती है।
अजीब घबराहट थी मन में पहले इन तनहाईयों के दौर से,
पर अच्छा लगता है जब रोज़ यूं खुद से मुलाक़ात होती है।
वाकई बड़ा सुकून है इन दिनों दिलो-दिमाग के चौपाल पर,
कि न कोई दिखावेभरा दिन गुज़रता है न ठिठकी हुई रात होती है।
कुछ ख़बर नहीं ये वक़्त हमें कल किस मोड़ पर ले जाए,
तो खुलकर जी रहें हैं जिंदगी को जो सबसे ख़ास होती है।
हां,हम रोते हैं,मुस्कुराते हैं,सबको एहसासों के तार मेंं पिरोए जाते हैं,
क्या ख़बर कौन-सा पल हो आख़िरी ऐसे में गुज़री यादें ही तो साथ होतीं हैं।
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ક્રોધના આવેશપૂર્વક ના બોલાયેલા
અસંયમિત એવા મારા શબ્દના પ્રહારથી,
કે તીવ્ર આવેગમય મારા વિચારોના બાણ થી ,
કે મારી કોઈ અવૈચારિક કૃતિ કે વર્તનથી
દુભાવ્યું છે મેં સહુને ઘણું....
એ માટે જ નતમસ્તક થઇને
પ્રણમું છું આજ
તમારી માફી ને કાજ
મિચ્છામી દુક્કડમ લઈને આવી છે
આજની આ સાંજ ...
ભૂલીને બધા મતભેદ વિચારોના
આપી દો ક્ષમાને સ્થાન બધાના હૃદયમાં ..
વીર પ્રભુના સંદેશને આપણે
ઉતારીએ જીવનમાં
હવે તો બસ આ જ રહી ગઈ છે
"બીના"ના મનની અભ્યર્થના ...!-