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Us khuda se bandegi kaise karu jisne humko Milina hi Nehi chahta..
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कौन कहता हैं की, हर दुआ दर पे क़ुबूल होती हैं।
माना खुदा सबका हैं,
पर कुछ उसूल तो उसका भी हैं।-
हर बन्दे को जहाँ में खालिक की रजा चाहिए
मुझे मेरे रव की खुद पर तवज्जह चाहिए
दुआएं, सदका, और किस तरह से मनाऊँ
मुझसे बे दिली ऐ रब अब दूर होनी चाहिए
मेरी आँखों के आंसू सूख चुके है
मेरे चेहरे की मुस्कुराहट अब लौटनी चाहिए
तेरी रहमत के दरवाजे हमेशा खुले है
मेरी अर्जी अब तो तुझ तक पहुँचनी चाहिए
मेरी साँसो को मुझसे बिछड़ने से पहले
दो पल की ख़ुशी तकदीर को बख्शनी चाहिए
अब तो हर फ़रियाद "माही" को चुभती है
खुदा वादा कर अब ये आजमाइश रुकनी चाहिए
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या खुदा,
जब तक मै इस दुनिया मे ज़िंदा हूं मुझे
अपने सिवा किसी और का मोहताज ना करना..
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गुमनाम से रास्तों पर चलते रहे, साथ न मिला कोई रस्ते बदलते रहे।
तन्हाई को मेरी तुम ही नहीं सुनते,बाकी सारी दुनिया के लोग सुनते रहे।-
आपको अब मेरी ख़बर नहीं जाएगी,
मेरी ईद अब दबे पाव गुजर जाएगी।
उधर आप चांद देख लो, इधर से हम देख लेंगे,
अगर नजरे टकराई तो मेरी ईद हो जायेगी।।-
जो जिस काबिल होता है, उसे वैसा ही मिलता है।
मैं नहीं ,पर मेरा खुदा यही कहता है।।-
जब भी दुआ में उठते हैं हाथ
सजदे में झुकता है सर
अपनी मौत मांगती हूं
हैरत होती है जब
खुदा का जवाब मिलता है,
"तुम्हारी लम्बी उम्र की मुरादें मांगते हैं बहुत
उनको मायूस कैसे कर दूं?!?"-