कमाल है ना वो आईना भी जो जिसमें हर रोज देखते हो खुद को,
जाने तुझे खुद में समाने के बाद कैसे स्महालता होगा खुद को।
फ़रिश्ते भी निशार है जिस खूबसूरती और आदाओ पे तेरे,
जाने ख़ुदा के कैसे सवार लेते हो अलग तुम हर रोज़ यूं खुद को।।
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जमाना जिसमें अब...
खूबसूरती देखता हैं...
उसमें मैं अब सिर्फ...
पत्थर देखता हूँ...-
तेरे रुख़सार पर मासूमियत😟 कुछ यूं झलकती है
शीतल-शांत ,सलिल परिपूर्ण सरिता ज्यों मचलती😇 है
कोई अनभिज्ञ🤔जो इसमें कभी डुबकी लगाएगा
कदाचित कर ले कोशिश लाख वो, पर डूब 😍जाएगा
गर खोना पड़े खुदको तो खोकर दिखाएगा
जी बात ही कुछ ऐसी है आपकी अदाकारी 😇में
ये मुस्कान,झुकी पलकें हुस्न-ए-खुमारी😍😘 में
मरने को गर कह दो तो वो मर दिखाएगा...😀-
उनकी खुबसुरती के बारे में मत पूछिए जनाब,
माथे पर लगी वो छोटी सी बिंदी भी कमाल लगती है..!!-
उनके रुख़ पे ज़ुल्फ़ों का, ऐसे है लहराए बादल,
पर्वत की चोटी पर जैसे उमड़ के है छाए बादल,
मन के बंजर धरा पे बिन बरसे चल जाए बादल,
ना जाने तमन्नाओं के, कितने शोर मचाए बादल..-
अभी चेहरा खूबसुरत हैं;
आशिक बोहोते होंगे,
जो झुर्रीयां भी चुमे;
ऐसे रकिब भी कम होंगे..!-
khubsurti Kisi makeup ka mohtaj Nahin. wo To Dil Se Hoti Hai .Aur Aankhon Se jhalakti hai.
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