मोहब्बत को कुछ इस तरह अब लुटाया जा रहा
दिल में बसा कर फिर बेबजह भुलाया जा रहा
मोहब्ब्त अगर इबादत है तो फिर सोचना कैसा
इबादत को करके भी फिर क़्यु पछताया जा रहा
है दिल फ़िदा तो सदा सच्चे दिल से चाहते रहो
प्यार नहीं तो नाम का क़्यु रिश्ता निभाया जा रहा
वो अच्छे हैं जिन्हें मोहब्बत का मतलब नहीं पता
मोहब्बत करने वालो को ही बस सताया जा रहा
सभी ख़ताबार हैं जी हाँ सभी करते हैं यहाँ ख़ता
कुछ फ़ारिग़ हुए कुछ से चेहरा न दिखाया जा रहा
दौर-ए-जहालत का मुकदमा दाख़िल हो "साजिद
गुस्ताख़ी करके किसी से सिर न झुकाया जा रहा-
Jab ALLAH mere Saath Hai Tu Mujhe Koi Farq Nahi Padhta Kaun Kaun Mere Khilaf Hai
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Mujhe hasi atti hai 😄😄un logo par jo bhar se mere sath hote hai par andar se mera khilaf hotea hai
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कभी वोह मेरा है ,
तो कभी वोह मेरे ही खिलाफ है,
तू ही बता दे ऐ ख़ुदा ,
क्या मेरी हाथों की लकीरों में अब भी उसका ही नाम है....-
मेरी क़लम है कि आज कल इत्तेफ़ाक़ नहीं लिखती है,
टूट जाती है मगर सच के ख़िलाफ़ नही लिखती है-
कलम नें लिखना छोड़ दिया। तेरी जुबां उठने के बाद
कोई ना हुआ खिलाफ। तेरे खिलाफ होने के बाद-
jis maa ne tumko janm diya
us maa ko tumne kaise chor diya....
khana or pani ke khatir rista
tumne tor diya....
bhool gye kya bachpan vo jb
tumko goad me pala tha....
bachpan se jawani tk maa hi
maa chillata tha.....
nai naveli paker tumne apni
maa ko tyaag diya....
baccho or biwi ko paker maa
ko vairagya kiya....
khud na anath hoker unko tune
anath kiya...
biwi ke aate hi usko maa ke khilaf
kiya....
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इरादे सब मेरे साफ़ होते हैं...
इसीलिए, लोग अक्सर मेरे ख़िलाफ़ होते है...!-