वो रात बीत चुकी है,वो बात बीत चुकी है !
ना तुझसे आधी रात को मिलने की ख्वाहिश किसी झूठे बहाने से पूरी होगी,
ना तेरे कांधे पे सर रख कर घंटो तक वो फ़िज़ूल की 2-4 बाते होंगी,
ना बेवजह गले लगा कर थामते हुए कुछ पलो का एहसास होगा,
ना रोज के शोर से चुराई हुई फिर वो सुकून की नींद होगी..
वो रात बीत चुकी है,वो बात बीत चुकी है!!— % &-
रंग चेहरे के सारे उसके खिल उठते है,
ऐ हवाओ,
बस उससे हमारा जिक्र कर के तो देखना-
मैं दरिया हूँ और प्यासा हूँ बरसों से,
तू बहर है तो मुझे खुद में समाता क्यों नहीं ।
मै सहरा हुँ, खड़ा हुँ एक पेड़ की मानिंद ,
तू तप रहा है तो मेरे पास आता क्यों नहीं ।
मैं रो नहीं सकता ये ख़ामी है मुझमें,
तू मुकम्मल कर मुझे रुलाता क्यों नहीं ।
मैं एक ख़्वाब में उसे अपना बना चुका हूँ ,
तू कैसा हमदर्द है,मुझे जगाता क्यों नहीं ।।-
जैसा अब करते हो
ऐसा पहले तो ना करते थे,
खैर छोड़ो,
तब तुम हम पर मरते थे...-
हम उनकी सभी चालबाजियाँ समझते हैं,
हमे मालूम है वो कब कब बदलते हैं ।
वो करते हैं कोशिशे तमाम हमें गिराने की,
और हम उनकी दी हुई ठोकरों से संभलते हैं ।।-
बहाने उसको तमाम आते हैं
मगर उससे मोहब्बत की बात नहीं होती
मैं जीत जाती हूँ कई बार उससे
मगर ना जाने क्यों उसकी मात नहीं होती
ख्यालो जज़्बातो में रहता है वो मेरे
बस उससे मेरी मुलाकात नहीं होती
वो तो मेरे दिन के हिस्सों में रहता है मौजूद
मेरे हिस्से में मगर उसकी रात नहीं होती
मोहब्बत के हर सवाल का ज़वाब है उसपर
मगर जो सुनना चाहता है ये दिल उससे वही एक बात नहीं होती !-
ख़्वाब बुन रहे हो तो नाकाम नहीं हो,
उम्मीदों पे जिन्दा हो तो आम नहीं हो !-
उनके कंधे पर गिरते रहे शिकवे सभी लोगो के,
और हम समझते रहे कि 'ख़ास' है हम!!-
भर जाता दर वक़्त वो घाव
उसको इतना भी नहीं नोचना चाहिए था,
खूब सोचा तो समझ आया
उसको इतना भी नहीं सोचना चाहिए था!-
जहां सभी हदें पार कर दी जाये किसी को पाने की चाह में,
उस ज़बरदस्ती को मोहब्बत का नाम न दीजिये !-