अब और ताकत नही है मुझमे तुझसे बहस करने की,
अब बस खामोशी से तेरे सारे इल्जाम कुबुल करना हैं।-
Un Tamam Shikayato Se Jyada Mujhe Ye Khamoshiyan Achi Lgane Lagi Hai
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कौन जाने के किसे खबर लग गई है
हमारे रिश्ते को किसी की नजर लग गई है
रिवायतन फासला ही बचा है दरमियाँ
आदतन ये कुर्बतें भी सफर पर गई हैं
दोनों इसी तवक़्क़ो में है कोई तो बोले
ये क्या दिलों में उदासी घर कर गई है
सू-ए-दार की जानिब चल पड़े है हम भी
जब से सुना है वो मेरे गम में मर गई है
क्या खबर इन हसीं अशआ'र का सबब कौन है
जिस एक शख़्स पर इतनी ग़ज़लें बन गई हैं
तुमनें मोहब्बत में अना को तरजीह दी है 'समर'
फिर मत कहना वो लड़की आगे निकल गई है
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ख़ामोशियाँ कुछ यूँ तोड़ डाला मैंने,
उसका नाम लिखा,
और दुनियां मे शोर कर डाला मैंने |-
Mulakato ke wo sare panne bharenge , abhi to bs khamoshi suno tum, guftgu fir kabhi krenge..
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Humse dur jana hoga toh
batakar jana...!!!
Khamoshi se jaane waalo
ka mein intazaar karte
reh jaati hu...!!!
Humse nafrat hai toh
bata dena...!!!
Khwahisho mein me
khoi rehti hu...!!!-
KHAMOSHIYAAN Bhi
SHOR krne Lagi Hai BE-TAHAASHA !!
Ab Toh Lagta Hai
Sukoon QABAR Me Hii Milega !!!!-
खामोशियों की भाषा सुनते हैं अब
जरा सी आहट भी शोर सी लगती है
वह तस्वीर जो अजीज थी हमको
जम गई उस पर कोई धूल सी लगती है
बिखर गई है जिंदगी ताश के पत्तों की तरह
सपनों की इमारत अब ढही सी लगती है
धोखा खाया है इस कदर हमने प्यार में
हर शख्सियत अब हमें नई सी लगती है-
ज़माने के ज़ख्मो से नासूर हो क्या
इस तन्हाई के हाथों मजबूर हो क्या
क्या बात है ऐसी जो ख़ामोश से हो
तुम हमसफर से अपने दूर हो क्या
कोई बात ही नही जो लगे पूरी सी
अपने मेहबूब के नशे में चूर हो क्या
कुछ कहे कोई क्यों सुनते नही हो
सनम की चाहत में मगरूर हो क्या
किसी की हसरत या उम्मीद हो कोई
या नज़रों का किसी की नूर हो क्या
तुम्हारी बात कुछ अलग है "साजिद'
बताओ तुम किसी का गुरूर हो क्या-
अपनी भी कहानी मुकम्मल हैं जनाब..
सफर का पता नहीं ; पर
हर एक लम्हा खुबसूरत एहसास से भरा है।।
Shikha bhardwaj
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