Jab dard aakho se nikla toh log Kehne lage ye toh kaayar hain.
Wahi dard jab lafzo se nikla toh Kehne lage ye toh shayar hain.-
शुक्र अदा करे इसपर शायर बना गई
एक लहजे में बात कहना सीखा गई
कोन से मैदान ए जंग में थे शह सवार
कायर नहीं, खामोश रहना सिखा गई-
हम खामोश हैं मगर कायर नहीं........
बस हम बेगैरत लोगों पर खामखा वक्त और लफ्ज जाया नहीं किया करते!!-
था मैं भी मजबूत अपने इरादों में
इश्क़ की ऐसी हवा चली
अब लगता है कायर हो गया...
क्या करने निकला था क्या कर रहा हूँ
लोग कह रहे हैं कपिल तो शायर हो गया ....-
अपने ही दर्द में कलम डूबो कर मैं शायर बन गयी,
जब उसने मुझसे कहा जी सकती हो मेरे बिना तुम कायर तो नहीं!!-
अपनी कायरता को ग़म
और दारू को दोस्त बताते हैं
अपनी कमजोरियों को...
औरत को पीटकर छुपाते हैं।।-
Hum apne "Mohabbat" ko alfaazon me darshate the aur wo apne "Nafrat" ko humse dar kar chupate the..
Bas fark itna tha unn me aur hum me...,
Hum "Shayar" the aur wo "Kayar" the...-
अपने ही अंदर दफन जख्मों को पिघला अल्फ़ाज़ बना डाला
स्याही ,पन्नों के सहारे सारे जज़्बात लिख डाला
जब उसने मुझसे कहा तुम मेरे लायक नही में जी सकती हूं तुम्हारे बिना तब में अपने ही दिल मे स्याहि रूपी ख़ंजर चुभो कविता लिख डाला ।-
Jo sach na bol sake wo kamzor h
Jo sach na sun sake wo kayar h
Jo sach ko jhutlade wo sabse bda begairat aur besharam hain-