ये दरिया का पानी,पानी सी जवानी
जवानी के ख़्वाब, ख्वाबों में तुम
ये निकलता सा चांद, चांद सी तुम
इस चांदनी रात में, ख्वाबों में तुम
किसी राग में ढलती, मचलती सी तुम
सुरीले से राग में, ख्वाबों में तुम
फूलो सी खिलती हुई खुशबू सी तुम
बहके हुए से भवरे के ख्वाबों में तुम
गर्म हवाओं से झुलसती हुई जमी देखे
भरी बरसात सी किसी ख्वाबों में तुम
देखें पत्थर तुझे तो धड़के धड़क धड़क
किसी ख्वाब का ख्वाब, ख्वाबों में तुम
अब कलम से क्या लिखूं तारीफ आज़ाद
हर किसी का ख्वाब, हर ख्वाबों में तुम
-