अंधेरों की शिक़ायत उजालों से करने वालो
अपनी जेबो से ज़िन्दगी के चिराग निकालो-
कभी थे बुलंदीयो पर जो अब पस्त नजर आते है
इतना अंधेरा है के शोले भी चिराग़ नजर आते है-
ये मेरी कम नजरी ने समझा के तुम हो दुनिया मेरी
मगर वक्त ने समझा दिया के तुम भी दुनिया के निकले
अरमा बहुत थे सीने में मेरे के बेहतर हो दुनिया मेरी
ख्वाब तो ख्वाब हे और तुम भी इस दुनिया के निकले
अब शिकायत ही क्या जब उजर गई हो दुनिया मेरी
हम दुनिया में न निकले और तुम दुनिया के निकले-
ये दरिया का पानी,पानी सी जवानी
जवानी के ख़्वाब, ख्वाबों में तुम
ये निकलता सा चांद, चांद सी तुम
इस चांदनी रात में, ख्वाबों में तुम
किसी राग में ढलती, मचलती सी तुम
सुरीले से राग में, ख्वाबों में तुम
फूलो सी खिलती हुई खुशबू सी तुम
बहके हुए से भवरे के ख्वाबों में तुम
गर्म हवाओं से झुलसती हुई जमी देखे
भरी बरसात सी किसी ख्वाबों में तुम
देखें पत्थर तुझे तो धड़के धड़क धड़क
किसी ख्वाब का ख्वाब, ख्वाबों में तुम
अब कलम से क्या लिखूं तारीफ आज़ाद
हर किसी का ख्वाब, हर ख्वाबों में तुम-
खुदको ही खोकर फिर किसको पाऊंगा में
तू ही न रहा ज़िंदगी में तो किसे चाहूंगा में
ऐसी जिंदगी की तो कोई तमन्ना ही नही मुझे
मयखाना तो हो और मय को तरस जाऊं में-
जो सिकवाए ताल्लुक था अब तो वो भी टूट गया
अब तू ही बता तेरे मेरे दर्मिया अब भी बचा हे क्या
किसी की आंखो में ठहरे थे किसी ख्वाब की तरह
अब तू ही बता अब भी कोई ख़्वाब बचा हे क्या
एक जुनून ए इश्क था मेरे ऊपर सवार दिन रात
अब तू ही बता के कोई अहदएवफा बचा हे क्या
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अब तुम आंसु बहा तो रहे हो
किसी की मोब्बत नीलाम करके
तुम इस दिल से जा तो रहे हो
किसी की दुनिया वीरान करके
कहां मिलेंगे खूबसूरत नजारे
किसी की सिसकियां बर्बाद करके
मोहब्बत की कोई कीमत नहीं
फिर भी मुहब्बत को नीलाम करके
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घर से भी तो नही निकला और आवारा भी रहा में
हासिल भी हे कुछ और खुद की तलाश में भी रहा में
ख्वाबों का पीछा करते करते वाकई पीछे भी रहा में
उड़ाने थी बहुत ऊंची और फक्त उड़ानों में ही रहा में
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तुझसे यू बिछड़ना भी चाहूं तो बिछड़ भी नहीं सकता
तुझे सिद्दतसे जो पाना भी चाहूं तो पा भी नही सकता
अजीब कशमकश में है जिंदगी इन दिनों आजकल
जिंदा रहु तो तकलीफ हे और में मर भी नही सकता
कुछ हसी ख्वाब पलको पे सजाए थे बच्चपन में मेने
उसी बच्चपन को वापिस हासिल भी नही कर सकता
बड़ी बेबाक सी थी ज़िंदगी सोचता हु जो अब बैठकर
ये जिन दिनों बात ही उन दिनों बात, भूल नही सकता-