madhuthakur   (मधु ठाकुर ✍)
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Joined 11 May 2019


Joined 11 May 2019
10 JAN 2022 AT 17:13

जब अंग्रेजी का परचम बुलंदियों पर था
तब हमने हिन्दी सीखी है,
हाँ जी, हमने इस चैटिंग - बैटिंग की
दुनिया में भी क़लम की क्रांति देखी है।

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7 JAN 2022 AT 17:40

यार अब तो सारे यार सयाने हो गये,
जो कभी थकते नहीं थे दोस्त दोस्त करते करते
उनको ही हमारी ख़ैरियत पूछे ज़माने हो गये।

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19 DEC 2021 AT 14:18

कोशिशें

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16 NOV 2021 AT 13:21

सपनों का रंग

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7 NOV 2021 AT 22:11

सपने

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26 OCT 2021 AT 21:54

जब कभी मैं निराश होकर बैठी
मेरे अंदर उपजी एक कविता
जिसने निराशामयी तिमिर में
बिखेर दीं अपनी आशामयी
प्रभा की किरणें

उस वक़्त मैंने जाना जब
हम कविताएँ रच रहे होते हैं
कविताएँ हमें रच रही होती हैं।

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13 OCT 2021 AT 22:43

प्रेम

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12 SEP 2021 AT 13:21

कर्म

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25 JUL 2021 AT 13:21


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19 JUL 2021 AT 14:06

ज़िम्मेदारियाँ

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