"सच्चा प्यार"
इश्क़ का नकाब लिए यहाँ, हर तरफ फरेबियों का चेहरा है,
मोहब्बत जिसने सच्ची की ,घाव उसी का सबसे गहरा है।
कहाँ मिलता आसमाँ आजकल, सच्चे इश्क़ के परिंदों को,
प्यार की हर उड़ान पर यहां ,तमाम बन्दिशों का पहरा है।
कान्हा खुद ही खबर रखते हैं, यहाँ राधा के हर दर्द की,
कौन कहता है कम्बख्त , बेइन्तहां इश्क़ गूंगा-बहरा है।
सब कुछ दिया ज़िन्दगी ने ,ज़िद्दी हौसलों के मुसाफिर को,
कदम नहीं रखा जिसने घर के बाहर ,सिर्फ वही ठहरा है।
डूब गयीं वो कस्तियाँ जो, निकली थी तलाश में कल के,
जी लो ज़िन्दगी आज में,खुशी का मौका बहुत सुनहरा है।
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