QUOTES ON #KASHTI

#kashti quotes

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23 JUL 2020 AT 17:06

कश्ती समुंदर से छूट गयी
समुंदर के बहाव के कारण
बहाव पर समुंदर का कोई हक नहीं था
सब वक़्त के सहारे चल रहा था ।

समुंदर क्या बताता बेबसी किसी को
वो तो खुद उस आग मे जल रहा था ।

रंग-मंच की की कठपुतलियों की तरह नचाता है ये वक़्त ।
समुंदर की बेबसी का हाल वक़्त ही बयां कर रहा था ।

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18 JAN 2020 AT 14:38

इंतज़ार है एक तेरा
कश्ती पे सवार हो
समन्दर की मस्ती भरी लहरों पे चलें
उस नीले आसमान के तले

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14 APR 2020 AT 19:57

लिखने कुछ शुरू किया था,
लिख और कुछ ही दिया।
सवार हुए थे कश्ती मे प्यार के लिए,
उसने तो ग़म के किनारे उतार दिया।

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4 SEP 2018 AT 18:46

यूँ हम भी तुम से हाँ तुम भी हम से
दबे ज़ुबाँ कुछ तो कह रहे हैं
हम एक कश्ती के हैं सवारी
हम एक धारा मे बह रहे हैं

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6 APR 2019 AT 16:00

कभी बादल, कभी कश्ती,...
कभी कोई ख्वाब लगती हो...
जब सजती हो तुम-ए-जानम...
हसीं महताब लगती हो...

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16 MAY 2020 AT 12:15



कश्ती ज़िन्दगी की कभी डगमगाती हैं
कभी सम्भाल जाती हैं

ये सिलसिला तब तक ज़ारी रहेता हैं
जब तक मौत नहीं आ जाती हैं।

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15 NOV 2019 AT 18:59

जिस्म अपना ही बोझ उठाते थक जाएगा...
सांसो की कश्ती भी डूब जाएगी...
एक दिन ऐसा भी होगा यारों...
यह मिट्टी की हस्ती मिट्टी में मिल जाएगी...

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15 JUL 2020 AT 7:55

"सच्चा प्यार"

इश्क़ का नकाब लिए यहाँ, हर तरफ फरेबियों का चेहरा है,
मोहब्बत जिसने सच्ची की ,घाव उसी का सबसे गहरा है।

कहाँ मिलता आसमाँ आजकल, सच्चे इश्क़ के परिंदों को,
प्यार की हर उड़ान पर यहां ,तमाम बन्दिशों का पहरा है।

कान्हा खुद ही खबर रखते हैं, यहाँ राधा के हर दर्द की,
कौन कहता है कम्बख्त , बेइन्तहां इश्क़ गूंगा-बहरा है।

सब कुछ दिया ज़िन्दगी ने ,ज़िद्दी हौसलों के मुसाफिर को,
कदम नहीं रखा जिसने घर के बाहर ,सिर्फ वही ठहरा है।

डूब गयीं वो कस्तियाँ जो, निकली थी तलाश में कल के,
जी लो ज़िन्दगी आज में,खुशी का मौका बहुत सुनहरा है।

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26 AUG 2020 AT 20:23

कागज की कश्ती थी ,पानी का
किनारा था।
खेलने की मस्ती थी ,दिल भी ये
आवारा था।
कहाँ आ गए इस समझदारी के
दल दल में,
वो नादान बचपन भी कितना
प्यारा था।

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29 MAY 2020 AT 14:52

___Kagaz Ki Kashti___
Kagaz ki kashti ki tarah chala hu zindagi ke sath, zakhmon ki is duniya mein angeenat khatare bahut hai,

na jane kab kis pathar se takara ke gir jaaye, yeh usse dar bahut hai,

Ek roshni jo in kagaz ki kashti mein umang si layi hai, jeetne ka jazbaa uske sir par chaya hai,

nakamyabi ko sir se nikal kar apni nayi duniya basai hai, apne chote chote kadmo se ek mehfil si sajayi hai..

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