जन्मभूमि ने भले ही ज़िन्दगी दी है...
मगर जीना कर्मभूमि ने सिखाया है...-
न काटो अपनी जड़ों को
यह धरोहर सदियों पुरानी है
इतिहास गवाह रहा सभी को
यहाँ पर ही तो पनाह मिली है
सम्मान मिला हर संस्कृति को
हर सभयता यहाँ फली-फूली है
ज्ञान दिया विज्ञान दिया दुनिया को
इससे ही तो हमें पहचान मिली है
आओ नमन करे धरती माता को
क्योकि यही हमारी कर्मभूमि है-
अगर अपने लिए लड़ रहा होता तो लड़ने से पहले ही लड़ना छोड़ दिया होता।
मिट्टी के लिए लड़ रहा हूँ इसलिए रक्त की आखिरी बूंद तक लडूँगा।।-
कर्मभूमि में श्रम सबको करना पड़ता है
ईश्वर के दिए जीवन में रंग खुद ही भरना पड़ता है-
Karmbhumi per Phaal ke liye
Shrram Sabko karna padta hai,
Raab sirf lakiren deta hai
Rang Humko Bharna padta hai !!-
आज के चाँद ने मुझे यह बोला हैं,
कि अपना दुपट्टा तुझे खुद ही लाल रंगना पड़ेगा,
सब होंगे तो सही तेरे आँचल में आ जाने को,
पर अपना रंग तुझे खुद बनाना होगा।
चाहे तेरी यह चुनरी फटे, चाहे हो जाये यह बेरंग,
कोई तेरा हाथ न थामेगा, सब बेबस सा तुझे लागेगा,
पर इससे तू कभी हताश न होना,
निराशा के पुष्प अपने मन में खिलने न देना।
कर अपने आप को इतना सशक्त तू,
कि तेरी चुनरी भी ऐसी हो,
जो स्वमं श्रीकृष्ण के वस्त्रों जैसी मनमोहक हो,
और मज़बूत इतनी की जैसे कड़ी मेहनत,
आत्मविश्वास और त्याग से बनी हो !
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न सूजा हमें और कुछ देने को "कर्म"
तुम्हें अपने प्यार के सिवा... — % &-
ऐ भगवान कितना ही कामयाब हो जाऊं
जिन्दगी में।
पर कभी अपने कल्चर को नहीं भूलु
जय हरियाणा जय हरियाणवी-
कर्म भूमि पर फ़ल के लिए श्रम सबको करना पड़ता हैं,
रब सिर्फ़ लकीरें देता हैं रंग हमको भरना पड़ता हैं
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कर्मभूमि की दुनिया में, श्रम सबको ही करना है।
उसने दी हैं सिर्फ लकीरें, रंग हमें ही भरना है।।-