किसी रोज़ मैं चली जाऊँगी अपने क्लेश लेकर,
तुम्हें सुकून से नफ़रत होने लगेगी उसी पल से ।-
आप उस वक्त खुद को बहुत असहाय और बेबस पाते हैं।
जब आपको कोई रिश्तेदार या आपका कोई मित्र सगा सम्बंधी कहता है कि आप खुश रहा किजिए आप खुश क्यूं नहीं रहते आपको क्या दिक्कत परेशानी है। तो आप उस इंसान को कुछ भी नहीं बताते की आपको क्या दिक्कत है। क्योंकि जो इंसान आपको दिक्कत दे रहा होता है वो भी आपका खास होता है आपके घर का ही कोई सदस्य होता है, आपका अपना होता है। और आप इस डर से कुछ नहीं बता पाते की समाज में उसकी किरकिरी होगी। या उस खास इंसान को दूसरों के आगे बुरा बनना पड़ेगा। इसिलिए आप चुप रह जाते हैं। हमेशा आप उस इंसान के आप पर किए हुए गुनाहों और अत्याचारों पर पर्दा डाल देते हैं।-
क्योंकि तर्क
समझने- समझाने का प्रवीण साधन है।
जबकि बहस
झगड़े, क्लेश और द्वेष की प्रवृति दर्शाता है।-
कलम कलह कलेश की,
ये ज़िन्दगी है द्वेश की!!!
तू ज़ी रहा , ये तो तेरा ख्वाब है,
अन्दर से तो तू भी पूरा ख़ाक है!!!-
कभी कभी लगता है
मैं पंगे लेने नहीं जाती,
पंगे खुद चलकर मेरे पास आते हैं।।
🥺🥺🥺-
"Young boy in a middle-class family"
उम्र की इस मोड़ पर, जिंदगी दौर रही है
मन में जिम्मेदारीयों के सवाल भूचाल मचा रही है
घरों में हो रही कलेश से दम घुट रही है
आस-पास के लोगों के तानों से खुद पर से विश्वास टूटती नजर आ रही है
Ehsaas-E-Akshay ❤
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Ye puri duniya BigBoss ka ghar hai janab yha logo ko dusro ke kalesho ko dekhne mein jyada maja ata hai
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Pyaar mai kalesh hai 😵
Yeh toh mai phle hi jaanta tha 😔
But phir dil ne kha 😍
Chlo thodi bakchodi hi kr li jaaye 😝
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सुनो! दिख रहा है बहुत गुरूर तुममें
बहुत कुछ कमाए हो क्या ?
पिता का वह जूता जो तुम्हारी परवरिश में
घिस घिसकर आधा फट गया था,
वो ढूंढ कर लाए हो क्या ?
और देख रहा हूं इमारत तो बहुत बड़ी बना ली है तुमने
पर उस इमारत को मां का नाम दे पाए हो क्या ?
और वो तुम्हारे बड़े भाई जिन्होंने कभी तुम्हें पता सा संभाला था।
उनसे बटवारे की माफी मांग कर आए हो क्या ?-