दबी आवाज़ में करना चाहा था इज़हार मैंने,
सच मानो वो बेचारा दिल से बहरा निकला ।-
Parul Singla
(दास्ताँ-ए-दिल)
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समझ पाओ तो मेरे लिखे अल्फ़ाज़ से ही समझ लो मुझे,
गर हुई मुलाक़ात तो बोलकर शायद समझा ना पाऊँ... read more
गर हुई मुलाक़ात तो बोलकर शायद समझा ना पाऊँ... read more
Joined 6 August 2017
11 JUL AT 10:05
28 JUN AT 19:04
मायके से लौटती बेटियां रो पड़ती है माँ के गले लगकर ,
मालूम है उन्हें ससुराल में रोना भी छुपकर पड़ता है ।-
5 JUN AT 21:21
वृद्धाश्रम से शमशान का सफ़र अधूरा रहा उसके इंतज़ार में जो बोला था “कल आऊँगा” ।
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5 JUN AT 21:02
अभी तक मिल ही कहाँ पायी हो शख़्सियत से मेरी,
तेरी मुलाक़ात तो मुझ में बसी तुझसे हुई है ।।-
5 JUN AT 11:05
बड़े शौक़ से सजाए थे शौक़ मैंने हमारे लिए,
उसका इकलौता शौक़ था कि उसे कोई शौक़ ना था ।-
4 JUN AT 14:15
जिस दिन मैंने सहन करना छोड़ दिया,
उसी ही दिन उसने वहम दिलाना छोड़ दिया….-
4 JUN AT 1:37
बड़ी बेरुख़ी से वो पलट गया बस इतना कह कर,
तेरे जितनी मोहब्बत हम तुझे लौटा नहीं पाएंगे !
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22 MAY AT 20:21
I have come to a phase where nothing is favourite. No favourite food, no favourite music, no favourite person. Anything that feels great for the soul in that moment seems the best one !
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