सोचते हैं वो दिन भी क्या दिन होगा
जब तेरी चाय से शुरू मेरा दिन होगा !!-
बस कभी कभी अपने जज़्बात स्याही से बयान करता हूँ
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ये उसकी बात है,
पर उससे पहले की बात है,
जब वो हमें पहचानती तो थी,
पर हमें जानने से पहले की बात है!
कि हमको लगती कितनी
खूबसूरत है उसकी
जुल्फें चेहरे पे आई हुईं,
उसको ये बताने से पहले की बात है,
ये हमारे इश्क की बात है,
पर उससे इश्क जताने से पहले की बात है!
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थोड़ा छुपाया जाए .....
थोड़ा बताया जाए .....
इश्क है जानी,
कभी तेरी आंखों से कहें,
तो कभी तेरे होठों को बताया जाए......।-
इश्क़ करा है सच्चा,
करी कोई सौदेबाजी नहीं!
जिस्म का हर अंग प्यारा तेरा,
पर तेरे जिस्म पे मेरी आंखे नहीं!
तेरा साथ काफी मेरे लिए
तेरी हर बात काफी मेरे लिए,
जिंदगी भर का इश्क है मेरा,
ये एक दिन की आशिकी काफी नहीं!!
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मौसम सर्दी का नहीं,
मौसम चाय का कहा जाता है!
जब छाता है कोहरा,
तो अदरक, काली मिर्च ,
तुलसी से श्रृंगार किया जाता है !
और लबों से जब लगाई जाती है,
वो प्याली चाय की,
तो पूरा मन महक जाता है!-
यूं ही थोड़ी मिल जाते हैं अनजाने
अनजानी राहों पे ,
कुछ पहली मुलाकाते बाकी होती हैं!
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एक कहानी लिखी जाएगी
लिखी तेरी या मेरी जाएगी
पर बताई हमारी जाएगी,
और पूछेंगे लोग इश्क क्या है,
जब सदियों बाद
तो हीर रांझा से पहले
और सिया राम के बाद
कहानी ........
हमारी सुनाई जाएगी !!!!-
जैसे घाट बनारस के
ऐसा इश्क़ हमारा है,
बहती जाए समय की गंगा,
वो इश्क करता इंतजार तुम्हारा है,
और गालियां बनारस की
जैसे सौंदर्य तुम्हारा है,
जिसने देखा जब जब
वो अपना मन तब तब हारा है!-
जितना पढ़ा , जितना लिखा
सब तेरी इश्क कहानी!
एक समंदर तेरी आंखें
बाकी सब खारा पानी!-
रात जानती है असली चेहरे सारे,
पूरे दिन तो सब नक़ाब ओढ़े घूमते हैं।
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