उधेड़बुन से खुद को निकालूँ कैसे?
जिसके दम से चलता हूँ मैं, उसकी यादों को अपने दिल से निकालूँ कैसे ?
उसे भूलाने के भय से ही मरा जा रहा हूँ, किसी और से दिल लगा लूँ कैसे ?
मेरी पहली नज़र का प्यार है वो, अपनी दुल्हन किसी और को बना लूँ कैसे?
जिसके सपने देखे हैं खुली बंद आंखों से, उसे सबकी नज़र से छिपा लूँ कैसे?
धड़कने गाती हैं, प्रेम-गीत जिसके, उसकी मोहब्बत को आखिर पचा लूँ कैसे?
उसे भूल जाऊँगा, झूठी कसम इस बात की, मैं सच जानकर भी खा लूँ कैसे?
मेरे दर्दे दिल की दवा उसके पास है, किसी नीम हकीम से दिल दिखा लूँ कैसे?
उसकी मुस्कान भर से भागते हैं रोग सारे, दूसरे दवा की पर्ची लिखवालूँ कैसे?
पूरी जिंदगी जीने का हमने वादा किया है, दूर खुद से खुद को भगा लूँ कैसे?
हमारी रजामंदी हमारे प्यार का सुबूत है,मौत का तरीका कोई आजमालूँ कैसे?
अपने प्रेम का हस्र रब पे छोड़ा है, खुद पे बेवफ़ा होने का तुहमत लगवालूँ कैसे?
वादाखिलाफी का इल्ज़ाम मुझ पर लगेगा, उधेड़बुन से खुद को निकालूँ कैसे?
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