मेरी चयनिका ®© भोजराज सिंह
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अंधकार वर्ण,गर्दभ सवारी,
भूत-पिशाचों पर है जो भारी,
सिद्धि द्वार खोलती हे सिद्धिदात्री,
नमन त्रिनेत्र माँ जय कालरात्रि।।-
नवरात्रि : ७ "कविता"
मिलन अति भावुक आज
यह कोहरा वर्षा संग
भोर हुई पपीहा गाये
मनमोहक दृश्य प्रसंग
कितना सुन्दर ताल-मेल
यह प्रकृति बिखेरी सुगंध
दिवस सप्तशती की देखो
पुष्प बरसाये जैसे देवतागण-
| नव दुर्गा स्वरुप |
सृष्टि में जब पाप का अंधकार बढ़ा
उद्धार को सृष्टि के, संहार को दुष्टों के,
माँ ने रात्रि के अंधकार से घना, काली का रूप धरा
कालोपरी देवी को तब, कालरात्रि नाम मिला ।। (7)
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या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
May Maa Kalratri,
The fierce form of Maa
make you fearless
and brave! ✨🖤-
काम, क्रोध, लोभ, अंधकार पर विजय दिलाती हो,
‘’ कालरात्रि’’ है रूप तुम्हारा,
जग में उजियारा फैलाती हो,
‘’ शुभंकरी’’ है नाम आपका,
सर्व सिद्धियों की दात्री हो!!-
विकराल रूप कालरात्रि माँ का, डरते सब वो जो पापी हैं
माता के चरणों में भय नहीं, है आशीष अब क्या बाकी है-
Bas ak tu hi premi hai
Aur baki sab farebi hai,
Bas ak tu hi ehsaas hai
Baki sab abiswas hai,
Bas ak tu hi tu hai
Baki sab bhi tu hi hai..-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
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