जातिवाद एक अभिशाप
जातिवाद कुछ इस तरह फेल गया, इंसानियत भूल गए इंसान,
खुदा के बनाये हुए इंसानो ने खुदा के बनाये हुए इंसानो को उल्टा सीधा नाम दिया,
(Read in caption)-
बंटोगे तो कटोगे जुमला यह मशहूर कर रखा है
फिर भी हर जाति ने अलग योद्धा घोषित कर रखा है
आते हैं ज़ब उनके जन्मदिवस -पुण्यतिथि की स्मृतियां
जाति की बहुलता - अहंकार का परचम ऊँचा रखा है
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Aaj kal to जाति वाद itna badh
gya hai ki Ab pyar karne se
pahle ladke ka Naam puchne
se jyada uska religion ,Surname
aur गोत्र puchna jaroory hai.-
मैंने यहाँ दोहरे चरित्र वाले लोगों को देखा है
जहाँ एक़ ओर लाश जलने पर ख़ूब शोर मचाते हुवे
वही दुसरी ओर ज़िन्दा बन्दे के जलने पर उनको मौन देखा है...!-
आंख बंद करके भरोसा किया था
लड़ी थी लड़ाई जिसमें न्याय तुमको ही मिलना था
तुम ख़ुद को न्याय ना दिला सके
जातिवाद के लिए तुम ख़ुद को धोखा दिया था-
हमारे देश में 'कोरोना' वायरस ही नहीं बल्कि और अन्य वायरस भी है, जातिवाद,
छुआछूत,
पाखंड,
अंधविश्वास,
अन्याय,
शोषण,आदि।-
मंदिर में आरती,मस्जिद में अजान कह दिया
एक ही है वो ईश्वर,जिसे अल्लाह और भगवान कह दिया
ऊपर वाले ने तो बस बनाकर भेजा इंसान सबको
हम लोगों ने उसे हिन्दू और मुसलमान कह दिया।-
आज फिर ये दिल रोया है ।
रात भर ना सोया है
मन में गुस्सा आँख में पानी
दिल में कई सवाल लिए
आज खुद से खुद में सवाल किया
माँ ये कैसी तेरा संविधान है
कैसी है ये अभिव्यक्ति की आज़ादी
वो खुले मंच से खुले मन से
देते हम को हैं गाली
वो दे गाली हम कुछ कर न सकें
आख़िर कैसी है ये लाचारी
वो नेता बन गए
जिसने तुमको बाँटने की बात कही
क्या तुझे दर्द नहीं होता माँ
क्या तेरा मन नहीं रोता माँ
मन मेरा भी खूब रोया
दर्द मुझे भी बेजोड़ हुआ
वो तेज हुए , मैं ख़ुद से ख़ुद में फँस गई
इस राजनीतिक गलियारों में ना जाने कब क़ैद हुई
नादान हैं वे बेटे मेरे कोई तों उनको समझा दो
सियासत के चक्कर में वो काट रहे हैं अपनी माँ को
सत्ता की इस दौड़ में कैसे तुम ये भूल गए
ये देश है तो तुम नेता हो, ये देश बिना तुम कुछ भी नहीं
अरे कोई तो उनको बतला दो
फुर्सत से फिर कभी कर लेंगे वो राजनीति बारी बारी
अरे फुर्सत से फिर कभी कर लेंगे वो राजनीति की सवारी
भुलक्कड़ हैं वो बेटे मेरे
आरे सन् 47 के बँटवारे कोई तो उनको याद दिला दो
कितनी बार बँटी हूँ मैं कोई तो उनको बतला दो
सते की इस लालच में ,
कितनी बार कटी हूँ मैं ,कोई तों इनको बतला दो
अरे राजनीति के इस खेल में काट रहे वो अपनी माँ को
मन मेरा भी रोता है
क्योंकि आख़िर अपना तो अपना होता है
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