आवा दिखाईं तोहरा के आपन यूपी क हाल
जे बा करत का बा का बा के खड़ा सवाल
भूमाफियन के भूमि पर चल गइल बुलडोज़र
हमरा शहर गोरखपुर में भी बा चिड़ियाघर
रोड साइड रोमिओ अउर खतम बा गुंडा राज़
योगी जी कइले बिटियन क बुलंद आवाज़
पड़ल रहल ह कश्मीर कब से छित्तर बित्तर
मिल गइल आज़ादी खतम तीन सौ सत्तर
सौभाग्य योजना से बा तीन सौ बासठ घर में बिजली
नब्बे गो मेडिकल कॉलेज सोलह एम्स बा सुनली
मथुरा में बा कृष्ण जन्मभूमि, वृन्दावन धाम अउरी
जामा मस्जिद देखे आईं कबो फतेहपुर सीकरी
काशी, मथुरा, प्रयाग, अयोध्या, चित्रकूट,मगहर
प्राचीन नगरी बौद्ध के कहाला ई कुशीनगर
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ग़ज़ल
क्या ख़बर थी की मेरे दर्द का दर्मा होगा
दिल-ए -ख़ुद्दार भी मिन्नत कश-ए एहसाँ होगा
एक मरक़ज़ पे न ठहरा है न ठहरेगा कभी
आज दिल शाद है कल ग़म से परेशाँ होगा
इश्क़ और मुश्क छुपाने से कहीं छुपता है
उसको होना है नुमाया वो नुमाया होगा
आज मकतल से तरन्नुम की सदा आती है
कोई दीवाना सर-ए-दार ग़ज़ल खाँ होगा
ये तो मालूम न था चाक गिरेबाँ मेरा
दर ब-दर ख़ुद मेरी रुसवाई का सामाँ होगा
'ग़ैबी' हालात बदलने में कोई देर नहीं
कल अंधेरा था जहाँ आज चरागाँ होगा
ग़ैबी जौनपुरी
मोबाइल - 99368 51811-
मुक्तक❤
मुहब्बत का मेरे तब और भी विस्तार होता है
तुम्हारी इक झलक से पूर्ण ज़ब त्यौहार होता है
मुक़म्मल होती है हर इक इबादत की दुआ मेरी
हक़ीक़त में मुझे ज़ब चाँद का दीदार होता है
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चांदनी रतिया में तू बड़ा याद आवेलू
का कहीं जान की केतना तू सतावेलू
का जरुरत बा श्रृंगार कइला क तोंहे हो
सादगी में तू हमरा क बहुते ही भावेलू
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मेरे नन्दलाल के हैं, घुँघराले काले केश,
काले केश बीच मोर, पंख को सजाते हैं /
श्यामली सी वर्ण पर, सजती पीताम्बरी है ,
मंद मंद मुस्कान से , ह्रदय लुभाते हैं/
ग्वाल बाल संग करे, बदमाशियां जो खूब,
बोल बोल झूठ माँ यशोदा, को सताते हैं/
गूंज रहा आज राधे राधे दसों दिशाओं में,
सब मिल कृष्ण जन्म, उत्सव मनाते हैं /
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एक शे'र
लगाकर कभी दिल ज़रा देख लेना
मुहब्बत में होता तमाशा बहुत है
श्वेता "शुभी"
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मरके भी ना जाए जो वतन से मुझे ऐसी उल्फ़त है l
खूने ज़िगर देख लो चाहे इसपर वतन की इबारत है l
करते आ रहें इस्तेमाल जो अपनो का वीर शहीदों का,
ये मत पूछो की उनसे 'शुभी' को कितनी हिकारत है l-
आज अगर वो सामने आएं तो हम कहें ईद मुबारक
वो मुस्कुरा कर जो गले लगाएं तो हम कहें ईद मुबारक
उफ़ सब कितने बेकरार हैं चाँद की एक झलक ख़ातिर
साथ अगर वो ईद मनाएं तो हम कहें ईद मुबारक
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एक कर में त्रिशूल दूजे शोभित सरोज,
माँ शैलपुत्री बृष पर विराजमान हैं l
महिसासुर बध की ख़ातिर ये रूप धरा,
आप देवी शक्ति की अद्भुत पहचान हैं l
हिमालय पुत्री महादेव की हैं अर्धांगिनी,
आपकी महिमा से जड़ भी ना अंजान हैं l
पार्वती हैं आप, आप ही तो कहलाएं उमा,
नारायणी, वैष्णवी आदि नाम महान हैं l
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रब जाने कैसा ये मंजर है
बस्ती लगती जैसे बंजर है
इक वीरानी है मुझमे भी अब
दिल ये मेरा बस इक खंडर हैl-