इश्क यदि अन्धा होता है तो, आपके मोहब्बत मे हमे इस रंगीन दुनिया के रंगो का भी परित्याग मंज़ूर है ।
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जब पहन कर सफेद साड़ी, बैकलैस ब्लाउज में हुस्न की नुमाइंदगी,
हुस्न के जलवे और हुस्न की अदायों से जो कहर बरपाती हो ,
तो और भी hot और sexy लगती हो..!!-
तुमसे कोई शिकायत मैं करती भी कैसे
मेरे इश्क़ का रंग सफ़ेद था तुम पर चढ़ता भी कैसे
पिछले ख़त में कब आओगे ये पूछा था मैंने उससे
उसने तोहफ़े भेज दिए अब दिल को समझाऊं भी कैसे
उसने वादा किया है शाम को गंगा घाट पर मिलने का
ये सूरज ढला ही नहीं इसे मैं चाँद बनाऊं भी कैसे
जब तुम्हारी इन काफ़िर आँखों ने ही मुझे भुला दिया
फिर तुम पर अपना हक़ मैं जताऊं भी कैसे
तुम्हें मुझसे मोहब्बत नहीं थी कभी इसका इल्म है मुझे
जानती हूँ तुम नहीं लौटोगे पर इस दिल को मनाऊँ भी कैसे-
रंगों से दोस्ती तो मैंने भी करनी चाही
पर तेरे इश्क़ के आगे
मानों हर रंग फीका है
कोई दूजा चढ़ ही न पाया..
- इश्क़ का रंग सफ़ेद...
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यूं तो रंग है,
मुहब्बत में इंद्रधनुषी....
फिर भी इश्क़ का रंग सफेद है,
ये मेरी बदनसीबी.....।।-
Agar ishq ka rang safed hai..
toh fir iska rang chadhne se sab kuch rangin kyun lagne lagta hai ?-
इस सफेद पर्चे में तेरा
नाम से एक पैग़ाम भेजा
हूं अपनी खून की
बूंदों से लिख हूं
फुरसत मिले तो
पड़ लेना एक बार।-
वो रंग जो बिकता नहीं बाज़ार में..
जिसमें ना छल, ना कपट, ना भेद है..
कोई मिलावट ना हो जिस रिश्ते में..
वो सुकून, वो इश्क़ का रंग सफ़ेद है..-