बनारस के रंग मे रंगना चाहती हूँ,
हाँ मे पार्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हूँ
गंगा कि धारा सी बहना चाहती हूँ,
शिव के अंश मे रहना चाहती हूँ
शिव के अंश मे प्रेम चाहती हूँ,
हाँ मे पार्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हूँ
अपने हर ज़िक्र मे उसका नाम चाहती हूँ,
अपने अंश मे उसका अंश चाहती हूँ,
हाँ बस, बनारस के रंग मे रंगना चाहती हूँ
मे पार्वती हूँ अपने शिव से मिलना चाहती हूँ
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