इस विपदा की घड़ी में थोड़ी सी इंसानियत
हम सबको निभाना है,
हो अगर मुनासिब तो ज़्यादा से ज़्यादा
भूखे लाचार लोगों को भोजन कराना है।
बेसहारा, गरीब, मजदूरों की
पेट में लगी आग बुजनी चाहिए।
दो वक़्त का ना सही लेकिन,
एक वक़्त का भोजन उन्हें भी मिलना चाहिए।
इस विपदा की घड़ी में कोई भी
भूख से नहीं मरना चाहिए,
इस विपदा की घड़ी में कोई भी
भूख से नहीं मरना चाहिए।
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