ऋतु नेगी   (©ख़्वाबीदा)
1.3k Followers · 22 Following

read more
Joined 7 June 2018


read more
Joined 7 June 2018
28 APR AT 8:34

…और में उसके लिए अच्छा करती चली गई
बिना ये सोचे की उसका अच्छा उसे करना था

-


22 APR AT 19:41

जब भी मिलती थी ख़ुद से
बहुत उदास होती थी
उतार कर मुखौटा जब वो
ख़ुद के पास होती थी

-


16 APR AT 8:39

वो जो मिलते है मुस्कुरा कर तुमसे
चीखते हुए से ज़ख़्म हैं मेरे
वो जो गुम है इस चहरे की परतों में
वो सुकून गुमशुदा मेरा

-


16 APR AT 8:37

उलझे रहे वो ज़ात-कदे के मसलों में
मैं इश्क़ को अपना रब कर चली
वो लूटते रहे औरों को, घर भरने को
मैं सारी कायनात को घर कर चली

-


12 APR AT 8:52

वो रिश्तों का महत्व समझ पाते तो अच्छा था
हर शहर में घर ना बसाते तो अच्छा था
कहने को लोग बहुत है आस पास मगर
महज़ एक रिस्ता कमा पाते तो अच्छा था

-


9 APR AT 17:33

चूल्हे की रोटी, धुएँ की कहानी,
दादी की बातें, वो मीठी जुबानी
पेड़ों की छाँव, हँसी की फुहार,
गाँव का घर था एक अलग संसार।

-


9 APR AT 17:31

वो आज भी सारे ख़त समेटे बैठी है
यादों की सुनहरी चादर लपेटे बैठी है
रास आता नहीं महफ़िलों का शोर उसको
वो इंतज़ार की सिंदूरी ग़ज़ल लगाये बैठी है

-



बेख़याली इस क़दर छाई है आज कल, के
ख़ुद ही अपनी गुमशुदगी की तहरीर दे आये

-



आप ही अपनी जफ़ाओं पे ज़रा गौर करें
हम जो ज़िक्र करेंगे तो शिकायत होगी

-



“इज़हार”- एक एहसास जो
कहे जाने को सदियाँ लेता है

-


Fetching ऋतु नेगी Quotes