रुका वो, जो चला नहीं। चला वो, जो रुका नहीं।
वक्त के साथ चलते-चलते, सब कुछ स्थिर हो जाता है।
हालात चाहे कुछ भी हो, वो शख़्स झुक नहीं पाता है।— % &-
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मुझ जैसा कोई मेरे बाद ना करे,
खुदा करे ये इश्क किसी को बीमार ना करे।-
बर्बाद हो कर भी मैं खुद का बरबादी जैसा हाल नहीं करता,
पीता हूँ शौक से गम में लेकिन अब तेरे लौटने का इंतजार नहीं करता।-
इश्क जिंदगी में ज़हर घोल रहा है,
हर एक आशार मेरे जसबातों का राज़ खोल रहा है।
सुर्ख आँखों का समुंदर और दिल का सैलाब उबल रहा है,
ज़रा देखो तो आज मुझे छूने वाला हर एक शख्स जल रहा है।-
इस उम्मीद को उम्मीद से कोई उम्मीद ना रही,
दर-दर की ठोकरें खाई है, बाकी अब कोई चीज़ ना रही।
उसे देखा था रकीब के साथ परसों,
इसलिए बाकी अब इस दिल में कोई दीद ना रही।-
जो हम पर गुज़री है, वो हम जानते है।
हिज्र भी काटी है उसके इंतजार में, उसे छोड़कर ये सब जानते है।-
बेशुमार हसरतों को दावत पर बुलाया है,
एक अरसे से पाले अरमानों को लिफाफे में जलाया है।-
जिस्म बिछड़े, रूह आज भी उसके पास है।
ये दर्द-ए-जुदाई का गम, अमानत की तरह मेरे साथ है।-
आँखें नम और अल्फाज़ मौन है,
शायद दर्द को भी लगता है, मुझसे बेहतर कौन है।-
मैं उसका था, उसका हूँ और उसका ही रहूँगा,
वो मेरी ना सही तो क्या?
मैं उसकी यादों के सहारे जीता रहूँगा।
इश्क़ में थोड़ा खुद्दार हूँ मैं,
अकेला ही सही पर चलता रहूँगा।
ठोकर लग भी जाए तो क्या?
मैं गिरकर सम्भलता रहूँगा।
गर सुन लू तेरा नाम तो खुशी से चहकता रहूँगा,
मैं तेरा था, तेरा हूँ और सिर्फ़ तेरा ही रहूँगा।-