सारे जहाँ में ना होगा कहीं,
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं।
तुम्हें देख के यूं लगता हैं जैसे
मिला बे-सहारे को सहारा कोई
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें जब से चाहा तो जाना
तुम हो तो मैं हूँ वर्ना नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
मैंने तुम्हें अपना माना हैं जब से
तब से मुझे खुद का होश भी नहीं
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं
तुम मिल गए हो तो यूं लगता हैं
झरने को जैसे मिली हो नदी
तुम सा कोई ना तुम सा हसीं-
6 MAY 2019 AT 21:52
2 DEC 2020 AT 13:39
उसकी एक मुस्कुराहट पर हम होश गवा बैठे हम होश में आने ही वाले थे कि वो फिर मुस्कुरा बैठे.....❤️
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16 SEP 2020 AT 0:08
मदहोशी में लिखे अल्फाज़ घुट रहे है पन्नों के बीच,
महफ़िलों के लिए अभी जुबां पे ताले है,
मज़ा छोड़, ख़्वाब को अव्वल दर्ज़ा देकर,
होश ने अपने इरादे यूं बदल डाले हैं-
11 JUL 2020 AT 12:15
कभी गालो पर तो कभी आखों पर ,
अब मै होश सम्भालु या उसकी जुल्फे !-
30 JUN 2019 AT 6:50
पता नही लोग लबो से लब
कैसे मिला लेते है,
उनकी तो हमसे नजरे ही
मिल जाये तो वो होश गँवा बैठती है।-
9 AUG 2020 AT 23:27
Tujhe yad karte karte,
Na jane mene kitne afsane likh dale..
Jab hosh aaya to pata chala,
Logo ke liye ham shayar ban baithe..-
4 MAY 2021 AT 20:21
ये उड़ती ज़ुल्फें, ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ, तो दूसरी
होश उड़ा देती है...
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