रोज़ एक नज़्म से उतरती है
मेरे दिल की स्लेट पर यारों-
सच का सफ़र तय करने जब मेरा कलम चलता है..."
◆अपने वि... read more
जिसने भी है दोस्त बनाये, साथ कहीं तो छूटेगा,
हमने है दोस्त कमाये, ये बन्धन कभी न टूटेगा-
सब बोतलों पर मुनहसिर रहे रात भर,
एक हम उनकी आँखों से जाम पीते रहे
प्यार में पागल आशिक़ की पहचान है,
ज़ख्म मिलते रहे..... और सीते रहे-
Dear inside,
तुझपे मरहम लगाए तो लगाए कैसे,
मेरी ही गलतियों ने तुझे कई गहरे ज़ख्म दिए है,
ख़ैर, भरते नहीं ये, सूख तो जाते,
पर यादों के नमक रगड़कर हमने ही तो हरे किये है-
जीवन के तपी आतप में वट के शीतल छाँव हैं मित्र,
व्याकुलता की घड़ी में सरलता का भाव है मित्र,
थकित प्राण में शुष्क कण्ठ की पिपासा बहुत है,
उल्लासों की इस प्यास में,
उमंगों के मृदुल जल का बहाव है मित्र-
मेरी बाहों में आओगी तो सब कुछ भूल जाओगी,
सब कुछ भूल जाने का तजुर्बा ले के तो जाओ-
किसी को किसी का कभी होना ही था,
जिसे दिल समझ बैठे थे, वो खिलौना ही था,
अंदर ही अंदर कब तक रोवोगे 'अमित'
कभी न कभी तो पलकें भिगोना ही था-