जब भी मिलती है नज़र,बोल कहां पाते हैं
प्यार एहसास है एहसास किए जाते हैं।
कितना हम चाहते हैं तुमको भला कैसे कहें,
सामने तेरे -मेरे शब्द हार जाते हैं।
जब भी मिलती.....
प्रेम को प्रेम के जैसे ही सदा मैंने किया,
बिन छुए, तेरी इबादत ही किए जाते हैं।
जब भी मिलती.....
तन्हा मन ने है कई पत्र लिखे यूं तुमको
धूप में आग बने, छांव में सुहाते हैं।
जब भी मिलती......
-