हथियार तो कुछ ख़ास नहीं है मेरे पास जनाब,
पर लोग कहते है कलम से क़त्ल करती हूं मैं ।-
जब भी कोई हथियार उठा
दूसरों के लिए वो लड़ पड़ा
दुश्मन एक ही
वार में ढेर हुआ-
केवल प्यार से प्यार करो,
वार्ना सीधे हथियार से वार करो।।
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जिंदगी के हर दौर-ए-जंग में यारों! हथियारों के साथ लड़ा करो,
वक़्त दुश्मनों का चल रहा है मास्क पहन कर बाहर निकला करो l-
देखी एक हीर यार वे
अदा हथियारां वरगी
नैना दा जिक्र की करां
अंखियां तलवारां वरगी-
कौन जीता कौन हारा पता नहीं
किसने खोया किसने पाया
हिसाब नहीं...
लेकिन हां...हथियार बनाने वाली कम्पनियों का
कोई जवाब नहीं
धंधा बड़े ज़ोरों से चल निकला
किसी के पास रोटी नहीं
बहु बेटियां रोती रहीं....
मगर...हथियार बनाने वाली कंपनियां
ख़ुश होती रहीं
फ़िर और हथियार बनाये जायेंगे
ऑर्डर सभी से लिये जाएंगे
और
प्रार्थना की जाएगी कहीं युद्ध होने की
इसलिए ज़रूरत नहीं हमें रोने की
क्योंकि गोलियां बिकतीं हैं
तभी चंद लोगों की रोटियां सिकतीं हैं-
ख़ुद के हाथ में हथियार इंसाफ़,
दूसरे के हाथ में अत्याचार लगता है....क्यों???-
Karzdaar hai Tu is mitti Ka, Kar is Ka aabhar Kar..
Teri kalam hai hathiyar tera, Is kalam se prahar Kar..
Zinda hai tu Apne ghar me, aaj apno ko haar Kar..
Bana kaghaz ko dhaal bana, Apne shabdon se tu vaar Kar..-