फूल भी देखे कलियाँ भी देखी देखा एक जहां हमने
तुमसा नहीं मिला कोई जाने ढूंढा कहां कहां हमने-
😇रहनुमाइयां छोड़िए चलिए आवारा हो चले☺️😇
❣️जैस... read more
जब तू चांद के करीब लगता है चांद कितना गरीब लगता है
बातों में जाने क्या लगता होगा जिनको देखने में नसीब लगता है
फूल ,कलियां , जुगनू ,तारे , बादल , झरने जाने क्या क्या
तुमसे मिलकर इनका जिक्र करना भी अजीब लगता है-
चुप रहने जगह आप गीत गा रहे हैं माजरा क्या है
बे बात आप मुस्कुरा रहे हैं माजरा क्या है
आप जहां जा रहे हैं वहां से आना मुश्किल है
ये जानते हुए भी आप जा रहे हैं माजरा क्या है
वो यहां हैं ही नहीं तो दरवाजा खोलेगा कौन
आप फिर भी खटखटा रहें हैं माजरा क्या है
जिंदा रहते यहां साथ दे दें लोग वो क्या कम है
आप साथ मरने की कसम खा रहे हैं माजरा क्या है-
शाम ढले उन पर जब फूलों की बरसात होती होगी
कुछ ऐसे नजारे के साथ तेरे शहर में रात होती होगी
फूल उकता गए हैं बाग के बिना तितलियों के
तुम कहना उनसे तुम्हारी तो मुलाकात होती होगी
तेरे देखने से मौसम बदल जाते हैं सुना है
तू हंसता होगा तो क्या बरसात होती होगी
लोग कहते चांद बहुत दूर है यहां से
मगर तुम्हारी तो अक्सर बात होती होगी
कैसे बयां करे कोई ये आंखे ये हंसी ये चेहरा
तुम्हें लिखने में बड़े बड़ों की मात होती होगी-
कुछ खुशियों के कुछ गमों के नाम गयी
ज़िन्दगी तो अब बस यूं हीं तमाम गयी
छिप सी गयी अंगड़ाइयां सुबह की अब तो
ख्वाइशों के बोझ तले फिर आज शाम गयी
कौन महसूस कर पाता है हकीकत ऐ ज़िंदगी
पाने खोने के सफर में यूं ही पूरी आवाम गयी
दो पल की ज़िंदगी से चुरा लो कुछ लम्हे खुशी के
अफसोस ना रहे की मौत हर लम्हा थाम गयी-
हमारी पुरानी बातों का ऑडियो चलाकर रो देता हूं
वो सिसककर मुस्कुरा देती है मैं खिलखिलाकर रो देता हूं
मैं जमाने की धड़ पर पांव रखकर चलने वाला
अक्सर एक कमसिन से नजरें मिलाकर रो देता हूं
लोग पूछते हैं शायरी का सबब,पूछते हैं प्यार था
जिल्लत भरा सा मैं ना में सर हिलाकर रो देता हूं
मैं इरादा करता हूं हमेशा कुछ बेहतर ओ पाक करने का
फिर अपने गलत फैसले की मार खाकर रो देता हूं
मेरा हौसला नहीं बनता की तुमसे शिकायत करूं
सो तुम्हारी तस्वीरों को तुम्हारी गलती बताकर रो देता हूं-
भूलकर तुमको ना जी पायेंगे
साथ तुम होगी जहां जायेंगे
हम कोई वक्त नहीं हैं हमदम
जब बुलाओगे चले आएंगे-
तितलियां घेर लेती होंगी उन्हें भंवरे बहक जाते होंगे
देखकर चेहरे का नूर सितारे जमीं पर उतर आते होंगे
तेरे ख्यालों को जब कोई लिखने बैठता होगा
कलम से रोशनी निकलती होगी पन्ने महक जाते होंगे-