Jane kaise uljhe zindagi k dhage tumse
Jaise barso purane rishte jude khudse
Tumhari mojudgi deti hai ek alag ehsaas
Tumhara hona hi bna deta hai mujhe khaas
Jaane kya naam du is anjaan rishte ko
Jisse hum dono hai bekhabar...
banayega ye humsafar hum dono ko
Ya mita dega hamari hasti ko is kadar...
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ऐ कलयुग के इंसान,अपनी हस्ती बना लो कुछ ऐसा
जिस भीड़ से तुम गुजरो,वहां कोई दूसरा न तेरे जैसा-
kya misal dun us ki ke rab ne use jo kamal di.....
Hai MAA woh hasti logo!
Jis ke kadmo me rab ne jannat daal di-
जिस्म अपना ही बोझ उठाते थक जाएगा...
सांसो की कश्ती भी डूब जाएगी...
एक दिन ऐसा भी होगा यारों...
यह मिट्टी की हस्ती मिट्टी में मिल जाएगी...-
कभी किसी को हमसफ़र तो, किसी को चारागर जाना
मगर, दुनिया को मैंने कुछ नहीं जाना, यही अगर जाना
सच है तो बस इतनी सी ही है हंगामा-ए-हस्ती की यारों
इस 'जहां' पर बेख़बर रहना और, यहाँ से बेख़बर जाना-
हम यारों की ऐसी हस्ती थी
आवारा बादल सी मस्ती थी
बीच धारा में बहती एक ऐसी कश्ती थी
नासमझों के लिये ये बड़ी सस्ती थी
हम यारों की ऐसी हस्ती थी ।
जिधर से गुजरते सारी कलियाँ हंसती थी
जिन्हें देखने को निगाहें तरसती थी
एक दूसरे में इनकी जान बसती थी
हम यारों की ऐसी हस्ती थी।।
Swatichaturvedi
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तेरी हीना की लाली,
मेरे नाम संग अच्छी लगती है
तू जब भी हंसती है,
तेरी मुस्कान सच्ची लगती है
तेरे कानों में मेरी दी हुई
बालियां ही तो जचती है
फिर भी ये बातें तू क्यों नही समझती है-
हस्ती
मेरा एक ही दिल है
और इसमें
कोई एक ही रह सकती है.
'तू'
या फिर,
'मेरी तन्हाई'
अब देखना है,
दोनों में
किसकी ज्यादा हस्ती है?-