I am not waiting for a Chandler or Ross in my life.
All I want is a Joey, who would eat anything I cook, even if it tastes like foot and would still appreciate it.
And who would not miss asking me 'How am doin?'
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न देख जिंदगी ढ़ंग से, ✨✨मिलनसार ऋषिका जी (पाँव की चोट एवं पीड़ा)✨✨
मैं बड़े निश्चय अब करने लगा।
कि जान बूझकर दिन में
अपनी परछाईं से डरने लगा।✨
पीड़ा उनकी सुनकर मैं
ज़रा सहमा थोड़ा घबराया।
पदचिन्हों को न देख के भी
वह पद ही देख आँसू आया ।✨
क्या था उनका दर्द पता न
ये बिल्कुल भी मुझको था।
"पैरों में है चोट बताना",
कहा कभी न उनको था।✨
एक मिलनसार, एक अच्छी
एक अद्भुत अलबेली सच्ची।
"दो पंक्तियाँ" लिखने में हैं जो समर्थ।
प्रसिद्ध कि प्रशंसा में मैं भी असमर्थ!✨
नाम उपनाम में समानताएँ उत्कृष्ट
जो थीं गहराईयों तक बड़ी शिष्ट।
अच्छा उन्होंने सदा समझा मुझे
उनकी सम्मान में है यह परिशिष्ट। ✨
मेरी रचनाओं में शामिल तारों को
देख उन्होंने मुझे नया नाम दिया।
उसमें भी सम्मान हमें नज़र आई
तो हमनें भी उसे आयाम दिया।✨
कलकत्ता निवासी चंचल ऋषिका जी
को यह शंसापत्र पसंद तो आना चाहिए।
अद्वितीय छवि है उनकी फैन्स के मध्य
ये उन्हें नहीं बल्कि हमें बताना चाहिए। ✨ (✍️सम्मान में लिखित एक शंसापत्र, CAPTION भी पढ़ें)-
अहं से गिरा मैं पांव उसके , दिया पांव उसने सरकाय
कहा गिरा जो तू पांव मेरे , मै पांव दूँगा कटवाय !-
In reality U and I are so far apart but still whenever I write, I find too close.
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अपने बड़े होने का घमंड मत करना।
पहाड़ का पत्थर भी जब पानी मे गिरता है
डूब जाता है।-
अगर आप अपने पैरों के निशान रेत पर छोड़ना चाहते है...
तो अपने पैरों को पीछे मत खीचिए...!!
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Walking barefoot on the shore,
She remembered the
Time and the value of nature.-
Every movements
of a toddler's feet
is always a new poem-