महफ़िल में तेरी मेरी नज़रे टकराई तो अब हैं
हवाओ ने प्यार की खुश्बू पहुंचाई तो अब है ।
बहुत उड़ान भर ली जुगनुयों ने अंधेरों में
रोशनी में चमकने की बारी आई तो अब हैं ।
साथ सफ़र में चल रहे थे अजनबी की तरह
तेरे फिराक़ ने ये बात समझाई तो अब है ।
कितने देर टिक सकता हैं जंग में फिर भी
चरागों की आंधियों से लड़ाई तो अब है ।
अजीब दोराहे पर खड़ी हैं ख्वाबों की सवारी
सफ़र में कहीं कुआं कहीं खाई तो अब है ।-
इन धुएं को कैद कर लो बादल बनने जा रहे है .
वो बेवफ़ा आशिक़ अब वफा करने जा रहे हैं ।
रौशनाई की राह में रुकावट आंधियां तो हैं
अब चराग भी तूफानों को सहने जा रहे हैं ।
जरा गम देखो सहरा के साथ कोई रहता नही
मिटाने फिराक उनका हम वहीं रहने जा रहे हैं ।
क़िस्मत ने हमे विरासत में जैसे गम ही तो दिया हैं
हमसे पूछे जनाब कैसे जिंदगी को सहते जा रहे है ।
उनके तसव्वुर में खोए हैं कुछ इस कदर हम
चक्कर में उनके नई कहानी बुनने जा रहें हैं ।
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कोई हुस्न बेवा हुई होगी,जमीन-ओ-फ़लक फुट फुट कर रोया होगा
मौत का गीत सुनते सुनते,'फिराक़' जब आखरी नींद सोया होगा-
Shukr Hai Din Bhi Hote Hain Jisme Mashrufiyat Tera Khyal Kam Kar Deti Hai,
Warna Teri Yaadein To Har Shab Mere Qatl Ke FiraQ Me Rehti Hain...!-
Tujhe na pane se jindagi khatm nahi huyi
Tujhe kho dene pe khuchh baki bhi na raha...-
Shab e firaq bhi aie tou kaisi
na Suraj hai na Chand
Bus hai ghanna saya aur barsaat
شبِ فراق بھی آئی تو کیسی،
نہ سورج ہے نہ چاند
بس ہیں گہنا سایہ اور برسات۔-
ye maanā zindagī hai chaar din kī
bahut hote haiñ yaaro chaar din bhī
# Firaq Gorakhpuri
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कल रात भर आसमां सुबक सुबककर रो रहा था,
क्या वो भी अपने चाँद के फिराक़ मे गमगीन हो रहा था?-